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"जम्मम्मि तम्मि न पुणो,
सो होइ उत्तमोत्तम
हविज्ज रागो मणम्मि जस्स कया।
रुवो पुरिसो महासत्तो" ||१८||
प्रायश्चित्त की गंगा में नहावे और फिर सावधान निर्विकार हो जावे
वह मानुस उत्तमोत्तम कहलावे ।
He shall bathe in the river of atonement, And shall never again allow his mind to be attracted. Such a person is Excellent.
“पिच्छड़ जुवइरुवं,
जो न चरड़ अकज्जं,
१९.
मणसा चिंतेड़ अहव खणमेगं ।
पत्थिज्जंतो वि इत्थिहिं" ||१९|| उत्तम पुरुष
जो युवती के रूप को निरखे हिय में अपने राग ले आवे लेकिन मौका पाकर भी वह कभी न खोटा काम करे
सौ मानुस उत्तम कहलावे ।
Conduct of the Good
19. He may gaze at young women, And even feel momentary attraction. But does not indulge in immoral conduct, Even when the opportunity presents itself.
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