Book Title: Granth Pariksha Part 02
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Jain Granth Ratnakar Karyalay

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Page 127
________________ जैन विद्वानोंसे मेरा निवेदन है कि, यदि सत्यके अनुरोधसे इन लेखोंमें कोई कटुक शब्द लिखा गया हो अथवा अपने पूर्व संस्कारोंके कारण उन्हें वह कटुक मालूम होता हो तो वे कृपया उसे 'अप्रिय पथ्य' समझ कर या 'सत्यं मनोहारि च दुर्लभं वचः' इस नीतिका अनुसरण करके क्षमा करें / इत्यलम् /

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