Book Title: Gobhil Gruhya Sutram Author(s): Chandrakant Tarkalankar Publisher: Calcutta Rajdhani View full book textPage 5
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शुद्धिपत्रम् ॥ रह्यसूत्रस्य पृष्ठे की। थिमकाण्ड प्रथमकाण्डिका .. .. 'देत्यभिप्रायः .. .. दित्यप्याजः .. .. .. नाशपक्षता .. .. नाशिष्यता .. .. फुरुषार्थ .. .. पुरुषार्थ .. कृतः .. .. .. कुतः? ... प्यन्नप्राशनादिषु .. पि केघुचित्.. .. ल्पते .. .. .. कल्यते .. .. .. यवस्था .. .. तत्फलवाद .. .. .. पीत .. .. .. श्वेत .. .. .. .. पश्चिमस्या पश्चिमायां (एवं परत्र) .. शुक्ल .. .. पीत .. .. .. .. "सप्त .. .. सप्त .. .. .. .. अपिञ्च स्मर्य्यते .. .. प्रकारान्तरं ग्टह्यासंग्रहे .. इति .. .. .. वघ्न .. .. .. प्रमा .. .. .. प्रामा.. .. .. .. ४२ .. २१ मध्यसातुम् .: .. मध्यवसातुम् .. .. ४३ .. ३ "नस्मादग्नार्थी.. .. तस्मात्-'अग्नार्थाः .. "प्राञ्चं नीत्वावर्त्य स्थाप) x x x ] यन्ति” इति स्मरणाञ्च) x x x " 88 .. १०,११ तथा नीत्वा आवर्त्य ) ___x x x .. ४४ . .११,१२ सम्यक भ्रामयित्वा च । :: : : : : : : : : : : : : : X X XX X For Private and Personal Use OnlyPage Navigation
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