Book Title: Gobhil Gruhya Sutram
Author(s): Chandrakant Tarkalankar
Publisher: Calcutta Rajdhani

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Page 8
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir xxx xxx xxx २२० : चशद्धम् शुद्धम् कञ्चका .. .. .. कम्बूका (एवं परत्र) .. १८९ .. न्त्रभाः .. .. .. न्द्रमाः .. .. .. १८८ .. १३ मांश .. .. .. मांशः .. .. .. १८२ .. २१ "एघावैसमलानामेरिः") ३ ) x ' x x .. १६६ .. इति च ब्राह्मणम् २१ अतएव--"दस्तित्रनिमित्तं) x x x वैकालश्चब्रह्मयात्मकः” इति ( x x x .. २०१ ११,१२,१३ क्षीणामावस्याविषयं स्मर विषय सर) x x x णम् । इति वाक्य .. .. इत्याहितार्वि .. .. २२० .. हुत्वा पाहूएव.. .. हुत्वा अथ परिसमूहनान्तं .... विधाय, पूवाहरव - 'आवमाः .. ... .. आवसेः .. .. .. २२२ नात्र .. .. .. 'नात्र .. .. .. २२३ 'उप .. .. .. उप.. .. .. .. २२३ अन्यापि .. .. .. अन्या तु .. .. .. २२८ द्रव्याण्यासाद्य संप्रोक्ष्यच ब्रह्मस्थापनानन्तरं .. त्यालभ्यते .. .. त्यर्थः .. .. .. पवित्रान्तहितां .. .. पवित्रान्तर्हिताए .. कतमं .. .. कतमत् .. .. .. पिञ्जल्या .. .. पिङ्ग्ल्या (एवमन्यत्र) .. २४१ वपेत्” .. वपेत् .. .. .. यान्वशक्य .. .. अन्वरक्य .. .. .. एतन .. .. .. एतेन .. .. .. २५२ ति- .. .. :: :: : : : : : : : : : : : : : : : : For Private and Personal Use Only

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