Book Title: Gadyabaddham Charitra Chatushtayam
Author(s): Rajendrasuri, 
Publisher: Rajendrasuri Jain Granthmala

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Page 190
________________ 16 2 मोदी मयोपायः द्रोहान्म मनस्येवं ग्रहीतु ववन्दे बालार्क मवलोक्य 55 (द्धिशुद्धि! ममोपायः द्रोहात्म मनस्येव गृहीतु ववन्द वालर्क भवलोक्य भर्भक पुरोधसे दलम्मिः पतिस्ता शिशुजीवन्ने निष्कण्टो 2 मोदीत्तताम् समालिङयस्त मर्पयत् मामैषीः अमुष्यं मुररीकृत्वा प्रश्रयामासि यत पङ्गवा जीवदया मोदीत्तमाम् समालिङ्कग्यत मार्पयत् माभैषीः अमुष्य मुररीकृत्य प्रश्नयामासि यतः पङ्गवो जीवदयां कूर्मो मालोक्य नमस्कृत्य मर्भक कुर्मा पुरोधसो दलम्भि पतिस्तो शिशु वन्ने निष्कण्टको 63 1 2 मालोक्यं 10 नमस्कृत्यं 2 रिरक्ष्यत्येव - * रखत्येव // 77 // Sain temational For Personal & Private Use Only T ww.jainelibrary.org

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