Book Title: Epigraphia Indica Vol 20
Author(s): Hirananda Shastri
Publisher: Archaeological Survey of India
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No. 14.]
FOUR CHANDELLA COPPER-PLATE INSCRIPTIONS
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4 म्वत्सरसहौके पष्टोत्तरशताधिके अंकतोपि ११०८ मार्गसिर(शीर्ष)म(श)दि
१५. सोमदिन(ने) [*] पोह श्रो. 5 कालिंजरात(त्) पत्यस्मिन्क ले वर्तमाने सा(शा)सनदाता नामामव: (२)
एकाग[:] मू(शूद्रसेवक एव) निसि(शि)तासिधारादा6 रितारिबर्गः विष्णु)रिव सधरधरा(धराधर) कन्दरगुफा(हा)न्तगलयस(गो)ध
वलितदिग्वधूवदन(न:) व(ब)लिकर यि(गावि)व क7 नकगोधरादानविष्या(ख्या)ता(त)कीर्ति:] युधिष्ठिरेब(र इव) सत्यसौ(शौ)चगुरुतिः
जदेवशम(यू)षारतर(तो)मामिव(एव) रूपसौभाग्ययुक्त (क:) परकुल जनाव.
(ब)न्धु[:] 8 मुनिरिव विदितात्मा . काव्याल(लं)कारछन्द न्दो) लषा(च)णगुणगणाधिष्ठान(न:)
युगसमानदेसिलंम्बन्दिजनमकोर्णस (श)तहार(र.) निबार्या)सितत. 9 स्करादिभयंच(भयथ)न्देलान्वयः परममाहेख(ख)र: परमभट्टारकमहाराजाधिराज
परमेव (ख): बोमद्देववर्मादेव(वो) महासामन्तरा10 जपुत्रवन्दितः(त)पाद दः) रंभागभॊपमाम) संसारमाकल्य(लय्य) तडित्वच्चल
वायो जात्वा य(ज)लवुद्द(ब)दोपम(मं) जोवितमिदं श्रुत्वा यौवनचाज11 लितुकमिवास्थिरत्वं(च) सुचिरमपि वसि(उषित्वा नास्ति कामषु तृप्तिस्म
चिरमपि सुविचिन्त्य धर्ममे(ए)को हिसाखाय(सखा) [1] मा[य] वर्षस(स)त
नृणा(णां) 12 परिमितात) राधा [तदा(द) इतं तस्याईस्य कदाचिदर्थमधिक(क) वाहिज्य
(वाक्य)वाल (बाख्थे) म(ग) [1] से() व्याधिनराधियोगमरणै: सेवादिभि.
ीयते ॥ 13 जीवे वारिताचालवले:(तर) सौख्यं कुतः प्राणिना(नाम्) [१] एवं
संसारधर्मामेको(क) हि प्रसा(या)स(ख)तं जावा दानमतिवके (8)
[ख] भोगावा[H]- . 14 नवगामासविषये यमुनातटे भूतपक्षिकानामग्रामोय(यं) सोमावणकाष्ठको पर्य
(न्तः) श्रीदेववर्मन (वचा) पद्यः(ब) पौरिखमासोमनाई 16 वोटितीर्थे सात्वा पिवतर्प [] वा बोसू(शूलपाणिदेवमर्ख (यित्वा.
यथाविधि च ४(खा मातापितामन (पिचोगमन)व पुन्य(स्य)यसो(यो)
विहाये[ति](ति) कुचटोभट18 ग्रामविनिर्माताब लगायब(स)मोचाय पचिपचनानससोवास (ज्या वाखेलि) स्त:
(वि)प्रवराय पा(बा)चसा(मा)खिने वा(प्रा)अपरिहत-श्रीजयस्वामिपौत्राय
पण्डि
+ Rond °दकिंवा (2) 'Bond बोवरायबम्मनलविदुषद (१) 'Matre,Bardalavikindia. .9 Maraller's Historyat SamirikLiterature, p.397.
- Read अविषला, लक्ष्मी • Strokes not required, • Read 'काठगोचर'.
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