Book Title: Epigraphia Indica Vol 17
Author(s): F W Thomas, H Krishna Sastri
Publisher: Archaeological Survey of India

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Page 380
________________ TWO OF THE KURAM PLATES. तुंगतुरंगतरंगे प्रचरत्करिमकरजनितविषमावत्तो (a ) [ 1* ] अविरळमुदोखे विजृम्भमाणे समुद्र इव [ ॥ १० ॥*] (b) (a) Read बसें. (b) Metre : Sugiti ( 32+ 27 ). खङ्गलतावरणयुते सशरासननागतिलकपुनागघने [*] उतकलकलशब्दे कानन व चण्डवेगपवनाकुलिते [ ॥ ११ ॥ * ] (a) (a) Metre: Aryägiti (32+32). योधापुरोतधनुषु (a) व्यतिपतितपतविरुद्द पवनफथे ( 6 ) [ 1*] प्रचरिततोमरशक्तिप्रासगदा कणय कप्पणचक्रे (c) [ ॥ १२ ॥ *] (d) (c) Read t (a) Read योधापुरितधनुषि (b) Read पवनपथे. (30+29). अन्योन्यलीशरदन कुलीशस्थिर किलितवदनमत्तगजबृन्दे (9) [ 1*] अन्योन्यमूईपातितखङ्गव्यतिषक्ततुरगसादिगणे [ ॥ १३ ॥*] (8) (a) Read अन्योन्यरदनकुलिशस्थिरकौलित', (b) Metre : Giti (30 + 30 ) . शस्त्राशस्त्रकचाकचिदण्डोकियाप्रव्यक्तभटजने (a) [*] अन्योन्यसदृशगणनपरिभवनोर्य्यातना ( 6 ) [ ॥ १४ ॥*] (a) Read शस्त्रास्त्रि कचाकचिदण्डादडिक्रिया प्रयुक्तमटे or प्रवृत्तमटे. The remainder of this verse is left out by the writer. (d) Metre: Pragiti 341 (b) Read ° गणनापरिभवनियतना मृशमदमिश्रीतशोणित कुंकुम घनलिप्य [मा* ] नभूमितले (a) [1*] विरहितनिपतितबाहुग्रीवाजं [ घो] रुकाण्ड दन्तबलौये ( 6 ) [ ॥ १५ ॥ * ] (c) (a) Read सृगमदमिश्रित (b) Read 'लौघे. (c) Metre : Lalità (30+32). म्यूहस[म्पा] तविदोर्णप्रजवितविद्रुत[भूमित] तोभयपचे (a) अन्योन्यजयपराजयसन्देह में खलग्न लक्ष्मीविहिते ( 6 ) [ ॥ [1*] १६ ॥ *] (c) (a) From [म्पा]a to the end, this line is engraved on an erasure. To satisfy the metre अभिसम्पात might be read. (b) Read perhaps fवदिते. (c) Metre of verses 16-19: āryāgīti. रुधिरोघपालिका यीतपतितगजश्रेणिपृष्टविचरत्सुभटे (a) [1*] अन्योन्यघातरन्ध्रानधि [ग] मलप्त क्कियायतस्थितयोधें ( 6 ) [ ॥ १७ ॥ * ] (a) Read रुधिरौघपालिकायित' and 'पृष्ठ (b) Read 'लुप्त क्रियायित. स्त्रोद्यतभुजदण्डे : (a) सारम्भविलोहिताच दष्टोष्ठपुटै [:*] (6) [1*] राजन्यै[:*] कृतकृत्यैः नोहतिता [ई] इतैरितस्थितः (c) संकीर्णे च (d) [ ॥ १८ ॥ * ] (a) Read शस्त्री. (b) Read संरम्भ.. (c) Read कृत्यैर्निहतार्द्ध हतैरितस्तत:. (d) The metre requirer च to be cancelled. शोध्वजातपत्रे[: *] पतितगजश्च (a) सितचलितचामरनिकरे [*] तिविदितचूर्णितमकुटं गदहारकटककर्णाभरणे (6) [॥ १८ ॥ *] (c) Read गजाश्व (6) Read मकुटांमद. 842

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