Book Title: Ek Sadhe Sab Sadhe
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 148
________________ १३८ इक साधे सब सधे रात्रि-विश्राम के लिए विदा लें। उपसंहार ध्यानयोग की उक्त प्रक्रियाएँ स्वास्थ्य, शांति, संबोधि और आनंद के मंगलमय लक्ष्य की प्राप्ति के लिए हैं। मनुष्य के पाशविक उद्वेगों और व्यवहारों के दिव्य रूपांतरण के लिए ध्यानयोग मूल मार्ग है। जीवन की कलुषताओं को जड़ से मिटाने के लिए यह सहज, सुलभ, सरलतम उपाय है। अन्तस् केन्द्रों के जागरण, निर्मलीकरण और साक्षात्कार के लिए यह जन-मन के लिए उपयोगी है। हमें सुख-सुविधाजनित समृद्धि के अनगिनत साधन उपलब्ध हुए हैं, किन्तु आन्तरिक शांति और समृद्धि के अभाव में हम जीवन के आनन्दमयी वरदान से वंचित हो गये हैं। हमारी शांति, शुद्धि, प्रगति और मुक्ति कुंठित हुई है। संबोधि-ध्यान मनुष्य का कायाकल्प और अभ्युत्थान करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इससे हमारे भीतर स्वत: ही धार्मिकता का उन्नयन होने लगता है । क्रोध-लोभ, भय-स्वार्थ, वैर-व्यभिचार, अपराध-आक्रोध धीरे-धीरे छूटते जाते हैं और सुख, शांति तथा आनंद के स्वस्तिकर लक्ष्य आत्मसात् हो जाते हैं। हम सत्यम् शिवम् सुंदरम् के महामार्ग के ज्योतिर्मान पथिक हो जाते हैं। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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