Book Title: Ek Rajasthani lok Katha ka Vishleshnatmaka Adhyayan Author(s): Manohar Sharma Publisher: Z_Jinvijay_Muni_Abhinandan_Granth_012033.pdf View full book textPage 1
________________ एक राजस्थानी लोककथा का विश्लेषणात्मक अध्ययन राजस्थान लोक साहित्य का रत्नाकर है। यहाँ लोक-काव्य, लघु काव्य, लोकगीत, लोककथा, प्रवाद और कहावत आदि के रूपों में अत्यधिक सामग्री जनमुख पर अवस्थित है। इस साहित्य-सामग्री का कई दृष्टियों से महत्व है। यह प्रकट करती है कि राजस्थान ऊपर से सूखा और फीका-सा दिखलाई देने पर भी भीतर से बड़ा सरस है । असल में देखा जाय तो उसी साहित्य-सामग्री का विशेष महत्व होता है, जो जनप्रचलित होकर लोकजीवन का अंग बन जाती है। लोकजीवन को समझने के लिए इस सामग्री का अध्ययन परम आवश्यक होता है क्योंकि इस में जनता का सुख-दुख, आशा-अभिलाषा, चाव-उमंग आदि सभी स्वाभाविक रूप में समाए रहते हैं । हर्ष का विषय है पिछले कुछ समय से विद्वानों का ध्यान राजस्थानी लोक साहित्य की ओर गया है और इस सामग्री को लिपिबद्ध किए जाने की दिशा में कुछ कार्य हुआ है । परन्तु इतना काम ही काफी नहीं है । लोक साहित्य के संग्रह के साथ ही उसका मार्मिक अध्ययन किए जाने की भी नितान्त आवश्यकता है । इस अध्ययन से अनेक महत्वपूर्ण तत्व सामने आते हैं और वे समाज को आगे बढ़ाने में विशेष सहायक सिद्ध होते हैं। पश्चिमी विद्वानों ने इस विषय में बड़ा परिश्रम किया है और उनकी साधना से समाज लाभान्वित हुआ है। विषय अति-विस्तृत है, अतः यहाँ एक राजस्थानी लोक कथा का विश्लेषणात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया जाता है। सर्व प्रथम विवेच्य लोककथा का संक्षिप्त रूप अध्ययन दृष्टव्य है : किसी गांव के ठाकुर ने तीर्थयात्रा पर जाने का निश्चय किया और सेवा के लिए अपने खवास (नाई) को साथ चलने के लिए कहा । खवास ने शर्त रखी कि वह मार्ग में जिस किसी वस्तु के सम्बन्ध में शंका उपस्थित करेगा, उसका समाधान ठाकूर को करना होगा और यदि वह ऐसा नहीं कर पाएगा तो खवास बीच से ही वापिस लौट आएगा। ठाकुर ने शर्त मान ली और वे तीर्थ-यात्रा के लिए चल पड़े। पहले दिन साँझ होते ही एक नगर के बाहरी भाग में उन्होंने विश्राम लिया । ठाकुर ठहर गया और खवास भोजन-सामग्री लाने के लिए नगर में गया । जब खवास लौट कर आया तो उसने ठाकुर के सामने अपनी विचित्र शंका प्रकट करते हुए कहा-"यहाँ नगर के बाजार में परम सुन्दर स्त्री वस्त्राभूषणों से अलंकृत मरी हुई पड़ी है परन्तु कोई उसकी ओर ध्यान तक नहीं देता । इस रहस्य का स्पष्टीकरण होने पर ही मैं आगे जा सकता हूँ अन्यथा नहीं ।” ठाकुर ने भोजनादि करके उस मरी हुई स्त्री का रहस्य प्रकट किया, जो इस प्रकार है : किसी राजा ने एक बड़ा भारी तालाब बनवाया परन्तु वह वर्षा न होने के कारण पानी से भरा नहीं । इस पर राजा को बड़ी चिंता हुई और उसने पण्डितों से इसका कारण पूछा । पण्डितों ने प्रकट किया कि राज परिवार के किसी व्यक्ति की बलि देने से ही वह तालाब भर सकता है । राजा ने सोचा कि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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