Book Title: Ek Lakh Parmaro ka Uddhar Author(s): Navinchandra Vijaymuni Publisher: Z_Vijyanandsuri_Swargarohan_Shatabdi_Granth_012023.pdf View full book textPage 8
________________ भलीभाँति निभाते हुए वे अपने कार्यक्षेत्र को जैन धर्म में स्थिरता प्रदान करने के लिए निरंतर प्रयत्नशील हैं। पावागढ़ तीर्थ का उद्धार और वहां जैन कन्या छात्रालय की स्थापना की प्रेरणा इस कार्य का प्रमुख चरण है। परमार क्षत्रियोद्धारक, चारित्र चूड़ामणि, जैन दिवाकर आचार्य श्रीमद् विजय इन्द्रदिन्न सूरीश्वरजी महाराज की सबसे बड़ी देन और सबसे अधिक महान गौरवमय कार्य एक लाख परमार क्षत्रियों को जैन धर्म का अनुयायी बनाना है। जैन धर्म के पांच सौ वर्षों के इतिहास में ऐसा कार्य किसी आचार्य द्वारा नहीं हुआ है। एक लाख परमारों का उद्धार बीसवीं सदी का एक ऐतिहासिक कार्य है। V 84 श्री विजयानंद सूरि स्वर्गारोहण शताब्दी ग्रंथ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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