Book Title: Dwatrinshad Dwatrinshika
Author(s): Vijaysushilsuri
Publisher: Vijaylavanyasuri Granthmala

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Page 11
________________ - आ उपरांत बीजा.बे अप्रसिद्ध प्रबंधग्रन्थो पण छे। ते सिवाय आ०भद्रेश्वरे दशमा-अगियारमा सैकामां रचेली 'कहावली' पण छे परन्तु एनो समय आटलो मोडो न होय ने सातमी सदोमां तेनी रचना थई होय ए पण संभवित छे। आ० सिद्धसेनना जीवन विशेनी ए सौथी प्राचीन सामग्रो छे, आ०संघतिलक ( वि०सं० 1365 थी 1421 ) पण आ०सिद्धसेननुं जीवन आलेखे छे / कदाच एनुं मूल कोई प्राचीन कृतिमा हशे। .. आ बधी जीवनसामग्री चमत्कारोनी कथाओथी अतिरंजित छे अने तेनी वीगतोमां परस्पर विरोधी वातो आवे छे / मने 'प्रबंधकोश' नी कथा प्रमाणमां व्यवस्थित लागी छे तेथी एने केन्द्रमा राखी बोजी कथामो साथेनी भिन्नतानो नोध लोधो छ / . आ० सिद्धसेननो जन्म ब्राह्मणजातिमां थयो हतो, तेमना पितानुं नाम देवर्षि अने, मातार्नु नाम देवश्री हतुं / आ०सिद्धसेने अवंतीमां शास्त्रोनो अभ्यास कर्यो / तेमने पोताना ज्ञाननो गर्व हतो अने तेनुं प्रदर्शन करता, त्यार बाद आ० वृद्धवादी साथे वादमां एमने पराजय वेठवो पड्यो अने ए जैनधर्ममा दीक्षित थया, आq कथानक भिन्न भिन्न ग्रंथोमां भिन्न-भिन्न रीते अपायुं छे पण आ० वृद्धवादी पासे एमणे जैन दीक्षा लीधी तेमां तथ्य जणाय छे / __केटलाक ग्रन्थो अनुसार दीक्षा समये एमने कुमुदचंद्र नाम आपवामां आव्युं, विक्रमादित्य साथे एमनो मेळाप थयो अने एनो.

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