Book Title: Digambar jai Parwar Samaj Jabalpur Sanskar Dhani ke Liye Avadan Author(s): Nemichandra Jain Publisher: Z_Jaganmohanlal_Pandit_Sadhuwad_Granth_012026.pdf View full book textPage 3
________________ 382 पं० जगन्मोहनलाल शास्त्री साधुवाद ग्रन्थ [ खण्ड (द) साहित्यिक एवं राजनीतिक योगदान : इस समाज के अनेक साहित्यकारों तथा राजनीतिज्ञों ने नगर को गौरवान्वित किया है। स्व० रूपवती किरण, स्व० सुन्दरदेवी इसी समाज की साहित्यिक विभूतियाँ रही हैं। वर्तमान में सुरेश सरल, निर्मल आजाद, श्रीमती विमला चौधरी, हुकुमचन्द्र अनिल आदि इस नगर को स्थान-स्थान पर प्रतिष्ठित कर रहे हैं। कवियों के साथ, विद्वानों को भी यहाँ कमी नहीं है। बाबू फूलचन्द्रजी, पं० रामचन्द्रजी, पं० ज्ञानचन्द्र शास्त्री, पं० राजेन्द्रकुमार जी, पं० विरधीचन्द्रजी आदि की ज्ञानगगा से श्रावक प्रतिदिन आप्लावित होते हैं / शैक्षिक क्षेत्र में श्री सुशीलकुमार दिवाकर, एल० सी० जैन, गुलाबचन्द्र दर्शनाचार्य, के० सी० जैन आदि के नाम विश्रुत हैं / पत्रकारिता के क्षेत्र में बड़कुर एवं नारद-बन्धुओं के नाम उल्लेख्य हैं / राजनीतिक क्षेत्र में श्री निर्मलचन्द्रजी एडोवकेट भू० पू० सांसद, मुलायमचन्द्रजी, हंसमुखजी व अशोक बड़कुर के नाम तो सुख्यात ही हैं / इन सभी व्यक्तियों ने अपने अपने क्षेत्रों में महनीय योगदान देकर हमारे समाज एवं नगर का गौरव बढ़ाया है। हमें अपने समाज पर विश्वास है कि भत एवं वर्तमान के समान वह भविष्य में भी संस्कारधानी को उच्चतः संस्कृत करने में अपना योगदान करता रहेगा। हमारा शरीर साधनसम्पन्न प्रयोगशाला है। प्रयोग के साधन और उपकरण भी हमारे पास है / चैतन्य के सारे प्रयोग हमारी खोज के सूक्ष्मतम उदाहरण हैं। आज प्रयोगशालाओं में जितने भी सूक्ष्म तरंग, सूक्ष्म ऊर्जा या उच्च आकृतिवाले उपकरण है, उससे भी सक्ष्मतम उपकरण हमारे शरीर में प्राप्त हैं। वे स्वतः सञ्चालित हैं। उनको काम में न लेने के कारण वे निष्क्रिय हो गये हैं। हम उनकी जंग हटाने का, विभिन्न ध्यान विधाओं के अभ्यास से, प्रयास कर रहें हैं। -किसने कहा, मन चंचल है / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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