Book Title: Digambar jai Parwar Samaj Jabalpur Sanskar Dhani ke Liye Avadan
Author(s): Nemichandra Jain
Publisher: Z_Jaganmohanlal_Pandit_Sadhuwad_Granth_012026.pdf

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Page 2
________________ ५] दिगम्बर जैन परवार समाज, जबलपुर संस्कारधानी के लिये अवदान ३८१ व खादीवाले खूबचन्द्रजी के सहयोग से चौबीस तीर्थंकरों की लघु मन्दरियाँ बनवाई गईं। पहाड़ के नीचे चौ० गनपत लाल सुरखीचन्द द्वारा एक विशाल कक्ष वाला मन्दिर बनवाया गया और फिर उसी के सामने श्रीमती लक्ष्मीबाई जैन ने संगमरमरी मान-स्तम्भ की रचना कराई । श्री धनपतलाल मूलचन्द्र प्रतिष्ठान ने मढ़िया जी के दक्षिण - प्रवेश द्वार के पहाड़ पर आदिनाथ मन्दिर बनवाया । इसकी पञ्चकल्याणक प्रतिष्ठा १९५८ में हुई थी । इन्होंने एक धर्मशाला भी बनवाई और आज नन्दीश्वर द्वीप के निर्माण में भी एक लाख रुपये दान देकर अपनी धार्मिक परम्परा जागृत रखी है । उपरोक्त चार मन्दिरों के अतिरिक्त (i) मिलौनीगंज का स्व० वंशीधरजी ड्योढ़िया द्वारा निर्मित जैन मन्दिर, (ii) हनुमानताल का नन्हें मन्दिर, (iii) हजारीलाल रूपचन्द्र ज्योदिया द्वारा निर्मित मन्दिर, (iv) भैयालाल नेमचन्द्र चौधरी द्वारा निर्मित मन्दिर, (v) क्षमाघर परमानन्द एवं गरीबदास गुलझारीलाल द्वारा निर्मित पुरानी बजाजी का मन्दिर तथा (vi) दि० जैन मन्दिर भेड़ाघाट के मन्दिर भी इस समाज ने निर्मित एवं जीर्णोद्धारित किए हैं । मन्दिरों के विवरण से स्पष्ट है कि जैन मन्दिर केवल पूजा या धार्मिक स्थलमात्र नहीं होते, वे शिक्षा, संस्कृति एवं सामाजिकता के जीवन्त संचारक होते हैं । (ब) शिक्षा संस्थान : जैन मन्दिरों में मुख्यतः धार्मिक शिक्षा की व्यवस्था रहती है, पर हमारे समाज ने आधुनिक युग के अनुरूप शिक्षण की व्यवस्था की उपेक्षा नहीं को । स० सि० भोलानाथ रामचन्द्र जी ने संस्कारधानी को तीन ऐसे भवन उपलब्ध कराये जिनसे जबलपुर का शिक्षा जगत् उपकृत हुआ है। इनमें एक (i) कस्तूरचन्द्र जैन हितकारिणी सभा हाईस्कूल, (ii) दूसरा भोलानाथ रतनचन्द लॉ कालेज और तीसरा (iii) सि० सोनाबाई छात्रावास के रूप में उपयोग में आ रहा है । आज हितकारिणी सभा १५ विद्यालय चला रही है जिसमें लगभग दस हजार छात्र शिक्षा ले रहे हैं । इस हेतु सिंघई धनपतलाल मूलचन्द्र ने पुत्रीशाला को दे दिया था। इसे एक हमारा समाज बालिकाओं की शिक्षा के प्रति भी सचेष्ट रहा है । जवाहरगंज में एक तीन मंजिला विशाल भवन बनवाकर प्रायः चालीस वर्ष पूर्व ट्रस्ट आज भी चला रहा है । इसमें प्राय० ५०० छात्रायें अध्ययनरत हैं । गोलबाजार के जैन मन्दिर से सम्बन्धित हाईस्कूल एवं डी० एन० जैन महाविद्यालय की चर्चा ऊपर की जा चुकी है । बालकों को संस्कृत एवं सुशिक्षित बनाने के लिये हमारा समाज मढ़ियाजी के ही एक बहुत बड़े मैदान में गणेश प्रसाद वर्णी गुरुकुल का सञ्चालन करता है । आजकल वहाँ २७ छात्र अध्ययन करते हैं। इसी क्षेत्र में वर्णी ब्रती आश्रम भी है । यहीं आ० विद्यासागरजी की अनुकम्पा से ब्राह्मोविद्या आश्रम की स्थापना की गयी है जहाँ प्रायः छयालीस ब्रह्मचारिणियाँ एवं अनेक ब्रह्मचारी अध्ययन कर रहे हैं । इसी क्षेत्र में आ० विद्यासागर शोध संस्थान भी स्थापित है जिसके निदेशक जैन गणित के प्रसिद्ध विद्वान् एल० सी० जैन हैं । (स) चिकित्सीय सुविधायें : स० [सं० गरीबदास गुलजारीलाल के सुपुत्र रायबहादुर मुन्नालाल रामचन्द्र ने अबलपुर स्टेशन के पास एक बहुत बड़ा बंगला और प्लाट, महिलाओं के अस्पताल के लिये, सरकार को खरीदकर दिया था । यहीं पर आज एम० आर० एल्गिन अस्पताल बना हुआ है । यह नगर का प्रमुख महिला चिकित्सालय है । ब० चौ० गुलाबचन्द्र कपूरचन्द्र ने नगर कोतवाली के समक्ष एक अस्पताल तयार कराकर शासन को दान दिया था। उन्होंने नगर के विक्टोरिया अस्पताल के दो वार्डों के बीच एक लोह -सेतु भी बनवाया । इन्होंने ही हितकारिणी सभा के मैदान में विज्ञान भवन बनाकर सभा को समर्पित किया । श्री धनपतलाल मूलचन्द्र ने पिसनहारी की मढ़िया के नीचे सड़क के किनारे एक धर्मशाला बनवाई | अन्य दानवीरों ने भी अस्पताल धर्मशालायें बनवाई हैं । इनमें मेडिकल कालेज के अस्पताल में चिकित्सा कराने वाले लोग एवं उनके परिवारजन सुरक्षापूर्वक रहकर रोगियों की चिकित्सा कराते हैं । ४८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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