Book Title: Dhaturatnakar Part 4 Author(s): Lavanyasuri Publisher: Rashtriya Sanskrit Sansthan New Delhi View full book textPage 9
________________ तपोगच्छाधिपति-सर्वतन्त्रस्वतन्त्र-शासनसम्राट्-सूरिचक्रचक्रवर्ति–जगद्गुरु-भट्टारकाचार्यवर्य श्रीमद्विजयने मिसूरीश्वरपट्टालङ्कारव्याकरणवाचस्पति-शास्त्रविशारद-कविरत्न–निरुपमव्याख्यानसुधावर्षि-विबुधशिरोमणि-धातुरन्मकर तिलकमञ्जरीटीकाद्यनेकग्रन्थप्रणेता सादडा. ( मारवाड ) ॥ : वद २. अमदावाद ॥ जन्म-वि. सं. १९५३ भाद्रपद वद ५ दीक्षा-वि. सं. १९७२ अषाढ सुद ५ वडी दीक्षा-वि. सं. १९७३ मागशर प्रवर्तकपद-वि. सं. १९८७ कात्तिक (प्रायः) बोटाद (काठीयावाड) ॥ सुद ३ सादडी, (मारवाड)॥ आचार्यपद-वि. सं. १९९२ वैशाख वद १२, महुवा (काठीयावाड)॥ सुद ८, भावनगर ॥ गणिपद-वि. सं. १९९० मागशर पन्यासपद-वि. सं. १९९० मागशर उपाध्याय पद-वि. सं. १९९१ जेठ सद ४, अमदावाद ।। सुद १०, भावनगर ॥ भट्टारकाचार्यश्रीमद्विजयलावण्यसूरीश्वरः॥ "न्यायव्याकरणागमेषु ललिते, काव्ये तथा छन्दसि । साहित्यप्रभृतौ प्रबन्धगगने यद्धीकराः विस्तृताः॥ प्रत्युत्पन्नमतिः प्रसादमदनं, व्याख्यानवाचस्पतिः । सोऽयं दक्षप्रमोददो विजयते, लावण्यसूरीश्वरः॥१॥" Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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