Book Title: Dharmsuri Barmasa
Author(s): Ramnik Shah
Publisher: ZZ_Anusandhan

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Page 7
________________ . . . . . . . चेत्तु पहूतउ मासडउ, रे मालियडा धमसुरि नंदउ लोइ । वणि वणि नव नव फूलडा, रे मालियडा झुंबक झुंबकडेहिं ॥ ३७ हे हेलि म साहेलडि ए, झंबक झुंबकडेहिं...... राइणि झुबकड़िय सहहिं रे मालियडा पाकिय कंचण-तुल्ल । जय जय असभद्रसूरि गुरु, रे मालियडा सुय सुरि-सेहर-फुल्ला ॥३८ हे हेलि म............. मलयानिल विलसेहिं भरु, रे मालियडा मउरिक अंबारामु । धमसुरि अनु जससुरि गुरु, रे मालियडा पुनिहिं लम्भइ सामि ।। ३९ हे हेलि म........ ऊडि रे करह ! आजु तुहु, रे मालियडा "करिविणु पंखडियाउ । पसरह धमसुरि नामह जिंव, रे मालियडा जसरि अनु मुणिराउ ॥४० हे हेलि म............ (१०) पयडउ इह वइसाहु जगि, पहुतउ आजु गुडे वि । पाडल-परिमल-लोलुअलि, कलयलि पडहुलु देवि ४० ।। ४१ सहि आजु सु वंदावि मई, धमसुरि नाण - विलासु ........... सहि चालु -न ऊतावलिय, जससुरि-वंदण-रेसि । सहि मज्झ मणु ऊमाहियउ, धमसुरि .- वंदण - रे सि ॥ ४२ सहि आजु सु ...... पाकिय झुंबहिं उववणि, अंबा लुंब रि आज ४१ । कोडि वरिस जं करिज तुहुँ, जससुरि संजम-राज ॥ ४३ ___ सहि आजु सु................" ... .. ... .. ... . ३८. झंबटडिय ३९. करविणु पंखडियाहु । ४०. देइ ४१. अजो [७५] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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