Book Title: Dharmsuri Barmasa Author(s): Ramnik Shah Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 6
________________ ऊडिवि ए दाडिमडीय ए चडि वायस बीजउरडिय । कहि महु धमसुरि आगविरं ।। २७ कुरुलइ ए महरइ सादि ए, (७) , सीयडुलउ माहठु पडइ, रे रे सूया मासु पहूतउ माहु । दंत - वीण - वायणु करहि रे रे सूया नोधण-जण - मिहुणाई ॥ २८ दलिहिवि पडिय सुरहि महि, रे रे सूया अंगइ ईसर लोय" । वात न पूछहिँ सिरखंडिहिं, रे रे सूया वहइ" समालइ कोइ || २९ कुंकुम - पंकिण पिंजरिहिं, रे रे सूया अंगइ ईसर लोय" । वात न पूछहिँ सिरखंडहि, रे रे सूया ससमइ ( ) सउ अग्घेइ || ३० घडिया - जोयण - लंघणीय, रे रे प्रिय आपणा वंदावे, रे रे सूया (6) सूया तुह सा वाहि-न अज्ज । धमसुरि दुह - गिरि - वज्ज || ३१ पिल्लिवि माहु" रमाउलउ, मोरा पहुतउ फागुण मोरा महुर- सरेण लविवि धमसुरि - [. ·H.. ..] ! जगु जिम्व जससुरि-तणउ जसु, मोरा चंदुडउ धवलेइ ॥ ३३ मासु । आग* नाचु करेहिं ॥ ३२ तह सोहहिँ किं सुय - कुसुम, मोरा राता छवछवडाई । विरहिय - हियय - महावणह, मोरा दहण - हुयास - समाई ॥ ३४ Jain Education International बापुरि सहइँ कुसुंभडीय, मोरा रुयडी रातुडिलीय । नावइ थवकिय कुंकुमिण, मोरा सयल वि भुंडलीय ॥ ३५ करहा ! तुहुँ रे वीखडीय, मोरा करि मिल्हेविणु काणि । मणि उमाहु करंति मई, मोरा वंदावि जससूरि ..] ॥ ३६ ३२. दाडिवडीय ३३. लोया ३४. पूच्छहिं ३५. समालकेवइ । ३६. ममाउलउ ३७. ना करेहिं । [७४] For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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