Book Title: Dharma ka Marm
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur

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Page 75
________________ मानवता की, प्रेम की, सहजता, सरलता, अनुशासन, स्पष्टवादिता, सौम्यता, संयमता, परोपकारिता, धर्म की गहनता, वाणी में मधुरता, चेहरे पर तेज, संस्कारों की खूशबू से मर्यादित जीवन-यात्रा के मुसाफिर श्री गुलाबचन्द जी झाड़चूर माशा कानागाणा बरगाजीप सांगावताना जन्म : 3 अक्टूबर, 1918 • स्वर्गवास : 14 फरवरी, 2007 दुनिया की नज़रों में जीना हमको सीखाया आपने सिखाया हँसना अब रोने को न कहना Jain Education international For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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