Book Title: Desi Nammala
Author(s): Hemchandracharya, Muralydhar Banerjee
Publisher: University of Calcutta

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Page 303
________________ २४० देशीनाममाला संपत्तियाइ 'सम्पत्तियम्मि तुम विरहग्गिणा हिए। सच्चेवियाउ माला संदट्टजलद्दया य सक्कंति ॥२३॥ (१८) सइलंभं सइदि8 सइसुहसइदंसणाइ मणदिढे। संखबइलो हालियछंदोत्याइरबदल्लम्मि ॥१८॥ सइलभं सइदिळं सइसुहं सइदंसणं एते चत्वारोऽपि चित्तावलोकिताः । संखबइल्लो हालिकच्छन्दोत्थायी बलोवर्दः ॥ यथा । सहि णिसि सइसहसउहे सइदंसणसयणयम्मि सइदिट्ठो । संखबइल्लो व्व पिओ सइलभरई य ता विहाणं जा ॥२४॥ अत्र। संखुडडइ रमते। संदाणइ अवष्टम्भं करोति। "सणामइ प्राट्रियते । संगलइ संघटते। संदुमइ संधुक्का प्रदीप्यते। संभावइ लुभ्यति। एते धात्वादेशेषूक्ता इति नोक्ताः ॥ (१८) ससराइयं च णिप्पिट्टे समइच्छियमइक्कते। मोरे सइलासय सिंढा खंदे सइसिलिंबो य ॥२०॥ ससराइयं निष्पिष्टम्। समइच्छियं अतिक्रान्तम् । सइलासो तथा 'सिंढो मयूरः। सइसिलिंबो स्कन्दः ॥ यथा। सइलासयपियसमए समइच्छियअवहिआगए दइए। ससराइयविरहटुहा सहि णच्चस सइसिलिंब°सिंढो ब्व ॥२५॥ (२०) कितवे सअक्खगत्तो सेलूसो जलघरे समुद्दहरं। सवडंमुहो अहिमुहे धम्मच्चत्तोसहे सदवसही ॥२१॥ सअक्वगत्तो तथा सेलूसो कितवः । समुहहरं पानीयगृहम्। सवडंमुहो अभिमुखः। सहरवसहो धर्माय त्यक्तो वृषभः ॥ यथा। सेलूसहारिणट्ठो सवडंमुहसइरवसहपक्सलियो । एसो सअक्वगत्तो लुकइ वैसासमुहहरे ॥२६॥ (२१) 1AB सन्नत्ति. . 2 AB दान. 3 AB सन्नाम'. 6 AB सिण्ट व्व. 7AB °रस'. 4AB सिण्टा. 5AB सिण्टो.

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