Book Title: Descriptive Catalogue Of Manuscripts Vol 26
Author(s): P K Gode
Publisher: Bhandarkar Oriental Research Institute

Previous | Next

Page 15
________________ Upanişads Begins. - fol. 10° of Kausitakyupanisad ओं श्रीमद्विश्वाधिष्ठानपरमहंससत्गुरुरामचंद्राय नमः ।। यत् ज्ञानाग्निस्वातिरिक्तभ्रमं भस्म करोति तत् । ब्रहज्जाबालनिगमशिरो वेथमहं महः । ओं भद्रं करेंभिरिति शांतिः॥ etc. Ends.-.50 यत्र गत्वा न निवर्तते योगिनस्तदेतदृचाभ्युक्तं तद्विष्णोः परमं पदं सदा पश्यति सूरयः दिवीव चक्षुराततं तद्विप्रासो विपन्यवो जागृवांसस्सामंधते विष्णोर्यत्परमं पदं ॥ ओं सत्यमित्युपनिषत् अष्टमं ब्राह्मणं ओं भद्रं कर्णेभिरिति शांतिः ओं श्रीमद्विश्वाधिष्ठान श्रीरामचंद्रार्पणमस्तु । बृहजाबालोपनिषद् Brhajjābālopanişad 35 No. 689 1884-87 Size.- 8t in. by 4 in. Extent.-37 leaves; 8 lines to a page; 25 letters to a line. Description. - Modern paper with watermarks; Devanagari charac ters; handwriting bold, clear, legible and uniform; red pigment used for marking the portion; yellow pigment used for corrections ; folios numbered in both margins; complete. Age. -A modern Copy. Begins. - fol. 1a श्रीगणेशाय नमः ॥ श्रीसांबाय नमः | ॐ भद्र० स्वस्ति० ॐ शांतिः शांतिः३॥ ॐ आपो वा इदमासंत्सलिलमेव तत्प्रजापतिरेकः पुष्करपणे भुसंरः समभवत् ॥ तस्यांतर्मनसि कामः समवर्तत ।। Ends.- fol. 370 अथ कालाग्निरुद्रः प्रोवाच सकृज्जप्त्वा देवमनुप्रविशतीत्यों सत्यमों तत्सत्यम् ॥ ॐ भद्रं कर्णेभिः शृणुयाम देवाः ॥ स्वस्ति न इंद्रो वृद्धश्रवाः० ॐ शांतिः शांतिः शांतिः॥ इति बृहज्जाबालोपनिषत् समाप्तं ॥ छ

Loading...

Page Navigation
1 ... 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 ... 274