Book Title: Descriptive Catalogue Of Manuscripts Vol 03
Author(s): P D Navathe
Publisher: Bhandarkar Oriental Research Institute

Previous | Next

Page 17
________________ Vedāngas भ्रातरच तव यविप्रनिर्मितं शाखामतदिती मावृथात्यजा॥ ......... गमोयमृषि भाषि ॥ श्री ॥ श्रीसंवत् १६७३ वर्षे शाके १५३८ प्रवर्त्तमाने दक्षिणायनगते श्रीसर्ये वृषासतु महामांगल्यप्रदे श्रावणमासं ... सितपक्षे तृतीयायां पुण्यतिथी रविदिने पूर्वाभद्रपदनक्षत्रं अतिगंजनाम्नो योगे विष्टिकरणे कुंभस्थिते चंद्र एव पंचांगशुद्धौ भार्गवज्ञाति नारायणपुरावास्तव्य ।। जोशीश्रीजादवसुतरामजीसुतश्रीकमेन लिषितं शुभं भवतु ॥--॥ यादृशं पुस्तकं ......... यत्नेन परिपालयेत् ॥ श्री श्री श्री॥ References - See No. 316/1882-83. ज्योतिषशास्त्रभाष्य Jyotişaśāstrabhāsya 535 No. 564 1899-1915 Size - 104 in. by 4 in. Extent -- 22 leaves; 10 lines to a page; 36-38 letters to a line. Description - Modern paper with watermarks; Devanagari charace ters%3; handwriting clear, legible and uniform; borders ruled ip double red lines; folios numbered in both margins; red pigment used for marking the portion; yellow pigment used for corrections; complete. Age - Saka 1687. Author - Sesa. Subject - A commentary on an astronomical work. Begins — fol. 10 श्रीमहागणाधिपतये नमः ॥ ॥ नमो ज्योतिषे ॥ शुभमस्तु । "अव्याकृता व्याकृतं पत्तदाद्यं त्रय्यात्मकं शग्दराशिं विशिष्टैः। कालस्येदं कारणं यज्ञसारं भोगावाः साधनं संप्रणम्य ।। देशस्य कालस्य विपर्ययाघदुत्पनार्थ मंगमाचं तु शास्त्रं ॥ . .. ज्योतिष नामाकुलकं प्रध्यनं सोमाकरोहं विवृणोमि शक्या ॥२॥ Ends-fol. 22a सोमाकरो वेदविदुक्तकातप्रातिमज्ञानागमभावबुद्धिः॥ ज्योतिःशारू नाकुलिकेन सम्यग् जीवात्सर्वमात्मना मनजिन्यन् ।

Loading...

Page Navigation
1 ... 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 ... 364