Book Title: Dashvaikalika Sutram Mula
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Page 3
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दस ल० पाम नही कोइ न०न नहणा गृहस्थ पोताने री०वी पु०फुत्र नन ज.जे || सुं जेम प्रांशी एतेम अर्थे कीधाते चरे नेविषे मरा म 5 लझामों। नय कोश् ब हम्मा आहामडेसु रीयंते॥ पुफेसु जमरो जहां 4 म. नम स०सरीषा बु० जे०न० अ०नेत्राप्रति नानाप्र प्रादार रातादिना तेरोक दु०क | रा त्वनाजायसाधु जे बंधरहित कारनां नेविषे दमणहार रीने हि महुकार समा बुद्धा॥ जेनवंति अणिस्सिया॥ नांणा पिंड रयादंता॥ तेण बुचंति साधु चा 30 एम // 5 // वृष्यनीप्फुलनीनपमानोअध्ययनसंपूर्ण ॥॥क०किम नुवि रित्रिया कहुईं तिप्रथमअध्ययनन्नवतुनामययोजाणवो चारणे कु. पाले साहणो त्तिबेमि // 5 // दुमपुफियानांमअभ्षयणंसम्मतं // // कहं न्नु कुष्पा सा० चा जेकोकाम न निवारे पप्पगले विषवादपाम संपाहुगाअध्ययवसायने रित्रने नोगते नहीं पगले तोयको वण्वसे गणपोहतोयको / सामन्नं॥ जोकामेन नविवारए। पएपए विसियंतो॥ संकप्पस वसं गन // 1 // - For Private and Personal Use Only

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