Book Title: Dashashrutskandh Sutra
Author(s): Ashok Kumar Singh
Publisher: Z_Jinavani_003218.pdf

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Page 17
________________ 18. डब्ल्यू., शुकिंग, द डाक्टिन ऑव द जैनाज, अंग्रेजी अनु. वुलौंग ब्यूर्लेन ; मोतीलाल बनारसीदास, दिल्ली ,1962, पृ.८१। 12 भणिटो दसाण छेदो पन्नरससाएहि होड वरिसाणं / समम्मि फरगुमित्ने गोयमगोत्ने महासत्ते।।८१७ / / तित्थोगाली पइन्नयं–'पइएणयसुत्ताई'-(२), सं. मुनिपुण्यविजय, जैन आगम ग्रन्थमाला 17, महावीर जैन विद्यालय, बम्बई 1984, पृ. 4831 20. प्रो. जैन, "अर्धमागधी आगम", जैन आयाम, पार्श्वनाथ 1994, पृ. 33 / २१.कतरं सुत्तं? दसाउकप्पो ववहारो या कतरातो उद्धृतं? उच्यते पच्चखाण पुवाओ। द. चू., जिनदासमणि, 'मणिविजय गणि ग्रन्थमाला, सं.१४, भावनगर 1954, पृ. 2 / 22. देवेन्द्रमुनि, “छेदसूत्र'' त्रीणिछेदसूत्राणि, ब्यावर 1982, पृ.१२-१३1 23. वही, पृ. 13 २४.दशाश्रुतस्कन्धसूत्र, अनु. आत्माराम, जैन शास्त्रमाला सं.१, जैन शास्त्रमाला कार्यालय,लाहौर, 1936, पृ.१०। 25 वही, पृ. 33-34, 64-65, 98-99,139-140,172, 255, 313, 318 एवं 363 / --पार्श्वनाथ विद्यापीठ, आई.टी.आई. रोड़ करौंदी, वाराणसी (उ.प्र.) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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