Book Title: Dalsukhbhai Malvaniya Pandit
Author(s): Vijaydharmsuri Jain Sahitya Survarnachandrak Samarpan Samaroh Bhavnagar
Publisher: Vijaydharmsuri Jain Sahitya Survarnachandrak Samarpan Samaroh Bhavnagar

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Page 35
________________ | आदि श्रमण-ब्राह्मण भ. महावीरका मार्ग : श्रमण ६. ६-७, अप्रैल-मई '५५. एकान्त पाप और पुष्य : जैन भारती ५-१०-'५५. (गुज. से अनुवाद) : श्रमण ६. १२ अक्तू . ५५. बालदीक्षा : तरुण १-२-५६. महावीर भूले : श्रमण अप्रैल-मे ५६. प्रज्ञाचक्षु प. सुखलालजी : राष्ट्रभारती ६. १० अक्तू . '५६. आचार्य मल्लवादीका नयचक्र : श्रीमद् राजेन्द्रसरि स्मारकग्रन्थ '५७, आगम झूठे हैं क्या ? : श्रमण ८. ६, अप्रैल '५७. आचारांगसूत्र : श्रमण अक्तू . '५७ से अगस्त '५८ तक. पार्श्वनाथ विद्याश्रम आदि प्रज्ञा '५८, श्रमण ११. २ । विद्यासंस्थाएं : दिस. '५६. : जैनयुग, अप्रिल, '५६. अकलंक अनुयोग अभिसमय हिन्दी विश्व कोष '६०. अवधिज्ञान आजीविक दर्शन और जीवन (गुज. से हिन्दी अनु.) : विजयानंद : नवे. '६१ से फेब्रु. '६२ तक. आचार्यश्री आत्मारामजीका मार्ग : जैन प्रकाश १५-२-६२. संथारा आत्महत्या नहीं हैं : श्रमण अक्तू , '६२. लोकाशाह और उनकी विचारधारा : गुरुदेव श्री रत्नमूनि स्मृति ' ग्रन्थ '६४. भ. बुद्ध और भ. महावीर : श्रमण, फरबरी '६५ (गुज. से अनु.) _ विजयानंद, मार्च '६५. लोकाशाहके मतकी दो पोथियाँ : मुनिश्री हजारीमल स्मृति ग्रन्थ '६५. ३४] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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