Book Title: Daivagna Kamdhenu
Author(s): C A Seelakkhanda
Publisher: Chaukhamba Sanskrit Series Office

Previous | Next

Page 11
________________ दैवज्ञकामधेनुः। नमः शाक्यसिंहाय ॥ प्रथमोऽध्यायः अथ प्रारम्भः प्रतिफलन्ति जगन्ति समन्ततोमहात यद्विषणामणिदर्पणे । स भगवान् मुनिरीहितसिद्धये हृदि चिरं मम गन्धकुटीयताम् ॥ १॥ अनुगतजिनशिष्टिब्रह्मवंशैक दृष्टिमुनिरनवमदर्शी पारदर्शी कलानाम् । प्रणयति सकलां सद्ग्रन्थसारार्थदोग्धीं विबुधजननिषेव्यां दैववितकामधेनुम् ॥ २ ॥ ईर्ष्याः पिशाचाश्चपलात्मभाजोनिन्दन्ति ये तेषु ममास्ति नास्था । आराधकोऽहं महतान्तु तेषां येऽत्रश्रमज्ञाश्च परार्थकामाः ॥ ३ ॥ प्राच्यैर्वराहमिहिरादिभिरभ्यधायि व्यासेन यच्चरितमम्बरगोचराणाम् । १ मतिः ॥ २ षट्ग्रन्थ ॥ ३ रभ्ययायि ॥ Aho! Shrutgyanam

Loading...

Page Navigation
1 ... 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 ... 318