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दान
दान
जहाँ धर्म के लिए दान में खर्च कर दें।'
प्रश्नकर्ता : हमारे वकीलों के कानून में भी ऐसा है कि पैतृक संपत्ति है, उसे संतानों को देनी ही पड़ेगी और स्वोपार्जित है, उसका बाप को जो करना हो वो करे।
दादाश्री : हाँ, जो करना हो वो करे। अपने हाथों ही कर लेना चाहिए! अपना मार्ग क्या कहता है कि तेरा खुद का माल हो, वह माल तू अलग करके खर्च कर, तो वह तेरे साथ आएगा। क्योंकि यह ज्ञान लेने के बाद अभी एक-दो अवतार बाकी रहे हैं, इसलिए साथ में चाहिए न? यात्रा में, दूसरे गाँव में जाते हैं तो थोड़े पराठे ले जाते हैं, तो यह नहीं चाहिए सब?
प्रश्नकर्ता : अधिक तो कब कहलाता है? ट्रस्टी की तरह रहें तो?
दादाश्री : ट्रस्टी की तरह रहना उत्तम है। पर ऐसे नहीं रहा जा सकता। सभी से नहीं रहा जा सकता। वह भी संपूर्ण ट्रस्टी की तरह नहीं रह सकते। ट्रस्टी अर्थात् तो ज्ञाता-दृष्टा हुआ। पर ट्रस्टी की तरह संपूर्ण नहीं रहा जाता। पर भाव ऐसा हो न तो थोड़ा-बहुत रह सकते हैं।
और बच्चों को तो कितना देना होता है? हमारे फादर ने दिया हो उतना, कुछ नहीं दिया हो तो भी हमें कुछ न कुछ देना चाहिए।
बेटे शराबी बनते हैं, बहुत वैभव हो तो? प्रश्नकर्ता : हाँ बनते हैं। बेटे शराबी न बनें उतना तो देना चाहिए? दादाश्री : उतना ही देना चाहिए। प्रश्नकर्ता : अधिक वैभव दें तो वैसा हो जाता है।
दादाश्री : हाँ, वह हमेशा उसका मोक्ष बिगाड़ेगा। हमेशा तरीके से ही अच्छा ! बच्चों को अधिक देना वह गुनाह है। यह तो फ़ॉरेनवाले सभी समझते हैं ! कितने समझदार हैं ! इन्हें तो सात पीढ़ियों तक का लोभ ! मेरी
सातवीं पीढ़ी के मेरे बच्चे के वहाँ ऐसा हो। कितने लोभी हैं ये लोग? बेटे को हमें कमाता-धमाता कर देना चाहिए, वह हमारा फ़र्ज और बेटियों को हमें ब्याह देना चाहिए। बेटियों को कुछ देना चाहिए। आजकल बेटियों को हिस्सा दिलवाते हैं न हिस्सेदार की तरह? ब्याहने में खर्च होता है न? फिर ऊपर से थोड़ा बहुत दें। उसे गहने दिए, वह देते ही हैं न! पर खद का तो खुद ही खर्च करना चाहिए।
प्रश्नकर्ता : बच्चों को पारिवारिक व्यवसाय सौंपना और कर्ज देना चाहिए न?
दादाश्री : हमारे पास मिलियन डॉलर हों या आधा मिलियन डॉलर हों, फिर भी बेटा जिस मकान में रहता हो, वह बेटे को देना। उसके बाद एक काम शुरू करके देना, उसे पसंद हो वह । कौन-सा काम उसे पसंद है, वह पूछकर जो काम उसे ठीक लगे, वह करवा देना और पच्चीस-तीस हज़ार बैन्क से ले देना, लोन पर। तो भरता रहेगा अपने आप। और थोड़ेबहुत अपने को दे देने चाहिए। उसे चाहिए उसमें से आधी रकम हमें देनी
और आधी बैन्क से ताकि लोन भरता रहे। यानी धक्का लगानेवाला चाहिए उसे। जिससे शराब नहीं पीए। फिर बेटा कहे कि 'इस वर्ष मुझसे लॉन भरा नहीं जाएगा।' तब कहें कि मैं ला देता हूँ तुझे पाँच हजार, पर लौटा देने हैं जल्दी। यानी पाँच हजार ला देने के। फिर हम उन पाँच हजार की याद दिलाएँ, 'वे जल्दी दे देने हैं, ऐसा कहा है। ऐसे याद दिलाएँ तो बेटा कहे, 'आप किच-किच मत करना अभी।' इसलिए हमें समझ जाना चाहिए। 'बहुत अच्छा है वह।' इसलिए फिर से लेने ही नहीं आएगा न! हमें हर्ज नहीं है, 'किच-किच करते हो' ऐसा कहे उसका, पर लेने आएगा नहीं न!
अर्थात् हमारी सेफसाईड हमें रखनी है और फिर गलत नहीं दिखते, बेटे के सामने । बेटा कहेगा, 'पिताजी तो अच्छे हैं, पर मेरा स्वभाव टेढ़ा है। मैंने उलटा कहा इसलिए। बाकी पिताजी तो बहुत अच्छे हैं।' मतलब भाग निकलना है, इस संसार में से।