Book Title: Collection of Kalka Story Part 02
Author(s): Ambalal P Shah
Publisher: Sarabhai Manilal Nawab

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Page 12
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रीदेवचन्द्रसूरिविरचिता एवं च भवियकमलपडिबोहणपराण जाव वोलिंति कयैवि दियहा ताव भणियव्वयाणिओऍण समागयाओ तत्थः साहुणोओ । ताणं च मज्झे सरस्सइ व्व पोत्थियावग्गहत्था; न याकुलीणा, गोरि ब्व महातेयन्निया, न य भवाणुरत्तचित्ता, सरयकालनइ व्व सच्छाया; न य कुग्गाहसंजुया, लच्छि व्व कमलालया; ण य सकामा, चंदलेह व्व सयलजाणोणंददाइणी; ण य वंका, किं बहुणा ! गुणेहिं रूवेण य समत्थणारीयणप्पहाणा साहुणीकिरियाकलावुज्जया कालयसूरिलहुँभइणी सरस्सई णाम साहुणी । वियारभूमीए णिग्गया समाणी दिट्ठा उज्झेणिणगरिसामिणा गद्दभिल्लेण राइणा भज्झोवण्णेण य(२०) हा ! सुगुरु ! हा! सहोयर !, हा! पवयणणाह! कालयमुर्णिद ।। चरणधणं हीरंत, रक्खेह अणन्जणरवइणा ॥२०॥ इच्चाइविलवंती अणिच्छमाणी बलामोडीए छूढा भंतेउरे। तं च सूरीहिं णाऊण भणिो जहा-महाराय ! (२१) प्रमाणानि प्रमाणस्थै रक्षणीयानि यत्नतः।। विषीदन्ति प्रमाणानि, प्रमाणस्थैर्विसंस्थुलैः ॥२१॥ किश्च रायरक्खियाणि तवोवणाणि हुंति, यतः(२२) नरेश्वरभुजच्छायामाश्रित्याऽऽश्रमिणः सुखम् । निर्भया धर्मकार्याणि, कुर्वते स्वान्यनन्तरम् ॥२२॥ ता विसज्जेहि एयं मा नियकुलकलंकमुप्पाएँहि, उक्तं च(२१) गोत्तु गंजिदु मलिदु चारित्तु, सुहडत्तणु हारविदु अजसपडहु । जगि सयलि भामिदु मसिकुच्च ओ, दिन्नु कुलि जेण केण परदार हिंसिर्दु ॥२३॥ ता महाराय ! उच्चिट्टकायपिसियं व विरुद्रमेयं, तओ कामाउरत्तणओ विवरीयमइत्तणओ य ण किंचि पडिवणं राइणा, यतः-- (२४) दृश्यं वस्तु परं न पश्यति जगत्यन्धः पुरोऽवस्थितं, रागान्धस्तु यदस्ति तत् परिहरन् यन्नास्ति तत् पश्यति । कुन्देन्दीवर-पूर्णचन्द्र-कलश-श्रीमल्लतापल्लवा नरोप्याशुचिराशिषु प्रियतमागात्रेषु यन्मोदते ॥२४॥ (२५) ता मुंच राय! एयं, ववस्सिणं मा कैरेहि अण्णायं । तइ अण्णायपवत्ते, को अन्नो नायवं होइ ? ॥२५॥ (२६) एवं भणिओ राया, पडिवजइ जाव किंचि णो ताहे । चउविहसंघण तओ, भणाविओ कालगज्जेहिं ॥२६॥ (२७) संघो वि जाव तेणं ण भण्णिो कहवि ताव मुरीहिं । कोववसमुवगएहि, कया पइण्णा इमा घोरा ॥२७॥ २१ कवि CD I, कइवि वासरा ता • H२२ • यानियोगेणं CDH I २३ • दयारिणी CDEHI २४ वेहि सम• ABI २५ • हुयभ • CDEFH I २६ तं मह रक्ख अ • EFHI २. • एह उ• AB | २८ •हि बत क्रिम्: CDEFH I २९ 0 प्रतावधिकोऽयं पाठः-अप्पहं धूलिहि मेलविउ, सयणहं दिन्नु छारु । दिवि दिवि मत्थाढंकणउ, विषि जोईउ परदा ॥, E प्रतावधिकोऽयं पाठः- अनत्थी आसत्तमण जे इत्तिलडं करिति । तह संगामि महन्भडह, करथका न वहति ॥ ३० करेह • ABEHI For Private And Personal Use Only

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