Book Title: Chikitsa Kalika
Author(s): Narendranath Mtra
Publisher: Mitra Ayurvedic Pharmacy

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Page 16
________________ चिकित्साकलिका। प्यतिचिकित्सामोदावेदिका। कैरिव योगैर्मालाकृता ? सरोजैः पर्तीरिव मालाकार इति ॥१॥ व्याख्याकर्तुः मङ्गलाचरणम्यद्भासा सुविभासते ह्यविरतं सर्वं जगन्मण्डलं सम्भूतिः स्थितिरस्य चापि नियता यत्सत्तया निर्भरम् । यच्चाप्यस्ति परात्परं यदपि वै संल्लभ्यते सर्वतः तद्ब्रह्म प्रणयावधानमनसा सत्यं सदा धीमहि ॥ १॥ आत्रेयं भिषगग्रगण्यमतुलं त्वाचार्यचूडामणिं राजर्षिन्त्वथ शल्यतन्त्रपरमाचार्य च धन्वन्तरिम् । अन्यांश्चापि महामुनीन् सुभिषजः सत्तन्त्रकारानहं श्रीमन्तं च नरेन्द्रनाथमनिशं नौमि स्वविद्यागुरुम् ॥ २॥ आयुर्वेदाचार्यवर्य-जयदेवेन धीमता । प्रणीयते परिमलाभिधा व्याख्या मनोहरा ॥३॥ सूर्य, अश्विनीकुमार, धन्वन्तरि, सुश्रुत आदि मुनियों को तथा अपने पिता के चरणों की भक्तिपूर्वक अभिवन्दना करके जैसे मालाकार कमल के फूलों से माला बनाता है उसी प्रकार तीसट ने अत्युत्कृष्ट योगों द्वारा माला बनाई है, जिसका नाम चिकित्साकलिका है ॥ १॥ पूर्व योगैर्माला कृतेत्युक्तमथ किंविशिष्टैरित्यत आह हारीतसुश्रुतपराशरभोजभेलभृग्वग्निवेशचरकादिचिकित्सकोक्तैः । एभिर्गणैश्च गुणवद्भिरतिप्रसिद्धै र्धान्वन्तरीयरचनारुचिरप्रपश्चैः ॥ २॥ हारीतश्च सुश्रुतश्च पराशरश्च भोजश्च भेलश्च भृगुश्च अग्निवेशश्च चरकश्च हारीतसुश्रतएराशरभोजभेलभृग्वग्निवेशचरकास्ते आदौ येषां ते तथा। आदिग्रहणात् वैतरणौरभ्रपुष्कलावतक्षारपाणिजतूकर्णचक्षुष्येणविदेहनिमिप्रभृतयो गृह्यन्ते । तेषां चिकित्सितं तदुक्तैः । एभिरिति वक्ष्यमाणकोगर्गणैश्च । किं विशिष्टैः ? गुणवद्भिरतिप्रसिद्धैश्च । गुणाः विद्यन्ते येषां ते गुणवन्तस्तैर्गुणवद्भिः। गुणवत्त्वं चैषां प्रागेवारोग्यसंपादनात्। अतिप्रसिद्धैरिति । अतिशयेन

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