Book Title: Chikitsa Chandrodaya Part 05 Author(s): Haridas Publisher: Haridas View full book textPage 9
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir [ ४ ] १७१ १७३ १७४ 'विषय पृष्ठांक | विषय पृष्ठांक साँपोंकी उम्र और उनके पैर १७० सात वेगोंके लक्षण १८५ सापिन तीन तरहके बच्चे जनतो है१७० दीकर सपके विषके सात वेग १८७ साँपोंकी किस्में मण्डली ,, , १८८ साँपोंके पाँच भेद राजिल ,, , १८८ साँपोंकी पहचान १७२ पशुत्रोंमें विष-वेगके लक्षण १८६ भोगी पक्षियोंके विष-वेगके लक्षण १८६ मण्डली १७३ मरे हुए और बेहोश हुएकी पहचान१८६ राजिल सर्प-विष चिकित्सामें याद रखनेनिर्विष १७५ ___ योग्य बातें दोगले १७५ सर्प-विषसे बचानेवाले उपाय २१४ साँपोंके विषकी पहचान १७५ सर्प-विष-चिकित्सा देश-कालके भेदसे साँपोंके विष वेगानुसार चिकित्सा असाध्य १७६ । दीकरोंको वेगानुसार चिकित्सा २१८ सर्पके काटनेके कारण १७८ मण्डलीकी वेगानुरूप चिकित्सा २१६ सर्पके काटनेके कारण जाननेके राजिलकी वेगानुसार चिकित्सा २१६ ___ तरीक १७६ दोषानुसार चिकित्सा २२० सर्प-दंशके भेद उपद्रवानुसार चिकित्सा विचरनेके समयसे साँपोंकी विषकी उत्तर-क्रिया २२२ पहचान विष-नाशक अगद २२३ अंवस्था-भेदसे सर्प-विषकी तेज़ी ताय? अगद २२३ - मन्दी महा अगद साँपोंके विषके लक्षण १८२ दशांग धूप २२४ दीकरके विषके लक्षण १८२ अजित अगद 'मण्डली , , १८२ चन्द्रोदय अगद २२१ राजिल , " १८३ ऋषभ अगद 'विषके लक्षण जाननेसे लाभ । अमृत घृत २२६ साँप-साँपिन प्रभुतिके डसनेके नागदन्त्यादि घृत २२६ - लक्षण १८३ ताण्डुलीय घृत २२७ 'विषके सात वेग . १८४ । मृत्युपाशापह घृत २२७ २२२ १८१ १८१ २२४ २२५ २२१ १८३ For Private and Personal Use OnlyPage Navigation
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