Book Title: Charnanuyog Praveshika
Author(s): Kailashchandra Shastri
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

View full book text
Previous | Next

Page 75
________________ चरणानुयोग-प्रवेशिका ५५१. प्र० - व्रतारोपण योग्यता स्थितिकल्प किसे कहते हैं ? उ०- जो व्रत देनेके योग्य हो उसीको व्रत देना चाहिये । यह छठा स्थितिकल्प है अर्थात् जो वस्त्र, राजपिण्ड और उद्दिष्टपिण्डको छोड़ने में तत्पर हो और विनयी हो वही व्रत देने के योग्य होता है । व्रत देनेका क्रम यह है कि गुरुकी उपस्थिति में सामने स्थित आर्यिकाको और श्रावक श्राविकाओंको व्रत देना चाहिये और आचार्यको स्वयं अपने वामदेशमें स्थित साधुको व्रत देना चाहिये । ५५२. प्र० - ज्येष्ठता स्थितिकल्प किसे कहते हैं ? उ०- चिरकालसे दीक्षित आर्यिकासे भी आजका दीक्षित पुरुष ज्येष्ठ होता है, अतः सब आर्यिकाओंको साधुका विनय करना चाहिए। यह सातवां स्थितिकल्प है । ५५३. प्र० - प्रतिक्रमण स्थितिकल्प किसे कहते हैं ? उ०- आचेलक्य आदि स्थितिकल्पोंमें स्थित साधुको यदि अतिचार लग जाये तो उसे प्रतिक्रमण करना चाहिए। यह आठवां स्थितिकल्प है । ५५४. प्र० - मासैकवासिता स्थितिकल्प किसे कहते हैं ? उ०- एक मास ही एक स्थानपर रहना चाहिये, शेष समय में विहार करना चाहिये, यह नवमा स्थितिकल्प है । ५५५. प्र०- -- पर्युषणकल्प किसे कहते हैं ? उ० – वर्षाकालके चार मासों में विहार छोड़कर एक ही स्थानपर रहना पर्युषणकल्प है। ५५६. प्र० - वर्षावासका क्या नियम है ? उ०- उत्सर्ग नियम तो यह है कि वर्षाकालमें एक सौ बीस दिन तक कारणवश इससे कम या साधुको एक ही स्थानपर निवास करना चाहिये । अधिक दिन भी ठहर सकते हैं अर्थात् यदि वृष्टि अधिक हुई हो या अध्ययन करना हो या शरीर अशक्त हो अथवा किसी साधुको वैयावृत्य करना हो तो आषाढ़ शुक्ल दसमीसे आरम्भ करके कार्तिकको पूर्णिमासे आगे भी और तीस दिन तक एक स्थानपर रह सकते हैं और यदि वर्षावासके स्थानपर मारी रोग या दुर्भिक्षका प्रकोप हो जाये जिससे श्रावक लोग वहाँसे भाग जायें या गच्छका नाश होनेके निमित्त उपस्थित हो जायें तो आषाढ़ पूर्णिमा बीतने पर श्रावण बदी चतुर्थी तक दूसरे स्थानपर जा सकते हैं । किन्तु श्रावण कृष्ण चतुर्थी के बाद और कार्तिक शुक्ला पंचमी से पहले प्रयोजन होनेपर भी साधु Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 73 74 75 76 77 78