Book Title: Chandraprabh Charitram Part 02
Author(s): Hitvardhanvijay
Publisher: Kusum Amrut Trust

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Page 16
________________ तत्थाऽवयाररत्तीए, वासाऽगारपसुत्तया । लक्खणा पासई एए, सिविणा उ चउद्दहा ||९|| दंतिराओ चउद्दंतो, सेयवण्णो कमुण्णओ । निच्चं मयनदीरम्मो, केलासो विव जंगमो ॥१०॥ वसहो धवलो पीणक्खंधो सरलवालही । कल्लाणकिंकिणीधारी, सविज्जु व्व सरग्घणो ॥ ११॥ पिंगच्छो दीहरज्जीहो, केसरी लोलकेसरो । उड्डपुच्छच्छलेणेसो, सपडाउ व्व भासए ॥१२॥ साभिसेया महालच्छी, अंभोयसमलोयणा । सुहापुण्णो पुण्णकुम्भो, पप्फुल्लंभोयपूइओ ॥१३॥ नाणाविहाऽमरतरुप्पसूणपरिगुंफियं । पलंबं दाम सक्कस्स, धणुं व्व बहुवणयं ॥ १४॥ नियाणणपरिच्छंदमिवाणंदनिबंधणं । कंतिपूरुज्जोइयासामण्डलं चंदमंडलं ॥१५॥ रयणीए वि तक्कालं, वासरब्भमकारओ । सव्वंधयारच्छिउरो, फुरुज्जोओ दिवायरो ॥१६॥ किंकिणीमालरम्माए, पडागाए समन्निओ | करि व्व कण्णताण, राजमाणो महज्झओ ||१७|| थोडं अट्ठमतित्थेसं, कयाणेगनियाणणं । रुणज्झणंतभमरंभोयरम्मं महासरं ॥ १८ ॥ इलालीणसरम्मेहमालालीलाऽवहारिणा । उड्डकल्लोलपूरेण, सोहिल्लो खीरवारिही ॥१९॥ पुव्वं जत्थासि देवत्ते, सामी तं चेविवागयं । इहाऽवि तेण नेहेण, विमाणं अइम्मयं ॥ २०॥ २७४ चन्द्रप्रभचरित्रे द्वितीयः परिच्छेदः ।

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