Book Title: Chandra Pragnapati ka Paryavekshan
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Z_Aspect_of_Jainology_Part_3_Pundit_Dalsukh_Malvaniya_012017.pdf
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श्री कन्हैयालाल 'कमल'
ग्रहों का सूत्र
जीवा० प्रति० ३, उ० २, सू० २०४
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जीवा० प्रति० ३, उ० २, सू० २०४
नक्षत्रों का सूत्र
x ताराओं का सूत्र
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जीवा० प्रति० ३, उ० २, सू० २०४
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चन्द्रादि पांचों ज्योतिष्कदेवों का गति सूचक सूत्रजम्बूद्वीप के मेरुपर्वत से चारों दिशाओं में ज्योतिष्कदेवों की गति का अन्तरलोकान्त से ज्योतिष्कदेवों को गति का अन्तर, इस रत्नप्रभा पृथ्वी के समभाग से ऊपर की ओर तारा (सब से नीचे का तारा) सूर्य, चन्द्र एवं ताराओं की गति का अन्तरनीचे के तारा से सूर्य का, सूर्य से चन्द्र का, चन्द्र से ऊपर के तारा का अन्तर
जीवा० प्रति० ३, उ० २, सू० १९५
(१) चन्द्रादि पांचों ज्योतिष्कदेव विमानों का संस्थान सूचक सूत्र
चन्द्र विमान का संस्थान, सूर्य विमान का संस्थान, ग्रह विमानों का संस्थान, नक्षत्र विमानों का संस्थान, तारा विमानों का संस्थान,
जीवा० प्रति० ३, उ० २, सू० १९७
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(२) चन्द्रादि पांचों ज्योतिष्कदेव विमानों के आयाम-विष्कम्भ, बाहल्य और परिधि प्रमाण का
सूचक सूत्र१. चन्द्र विमान को लम्बाई, चौड़ाई, मोटाई और परिधि २. सूर्य विमान की लम्बाई, चौड़ाई, मोटाई और परिधि, ३. ग्रह विमानों की लम्बाई, चौड़ाई, मोटाई और परिधि, ४. नक्षत्र विमानों की लम्बाई, चौड़ाई, मोटाई और परिधि ५. तारा विमानों की लम्बाई, चौड़ाई, मोटाई और परिधि
जीवा० प्रति० ३, उ० २, सू० १९७
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