Book Title: Chandra Pragnapati ka Paryavekshan
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Z_Aspect_of_Jainology_Part_3_Pundit_Dalsukh_Malvaniya_012017.pdf
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चन्द्रप्रज्ञप्ति और सूर्यप्रज्ञप्ति का पर्यवेक्षण चन्द्र और सूर्य के पुद्गलों का प्रकाश
भग० २० १४, उ० ९, सू० २,३ ज्योतिष्कों के दो इन्द्र
भग० श० ३, उ०८, सू०५
जीवाजीवाभिगम में चन्द्र-सूर्यप्रज्ञप्ति से संबन्धित सूत्र चन्द्र परिवार सूत्र
जीवा० प्रति० ३, उ० २, सू० १९४
X
सूर्य परिवार सूत्र
जीवा० प्रति० ३, उ० २, स० १९४
नक्षत्रों का सूत्रनक्षत्रों के आभ्यन्तर और बाह्य, ऊपर और नीचे गति करने वाले नक्षत्र
जीवा० प्रति० ३, उ० २, सू० १९६
ताराओं के सूत्र चन्द्र तथा सूर्य के नीचे, सम और ऊपर लघु तथा तुल्य तारा, ताराओं की लघुता तथा तुल्यता के कारण,
जीवा० प्रति० ३, उ० २, सू० १९३ एक तारा से दूसरे तारा का अन्तर
जीवा० प्र० ३, उ० २, सू० २०१
चन्द्र के सूत्र चन्द्र की अग्रमहिषियां तथा विकुर्वीत देवी परिवार,
जीवा० प्रति०-३, उ० २, सू० २०२
चन्द्र विमान की सुधर्मासभा में चन्द्र द्वारा भोग भोगने का निषेध तथा निषेध का कारण
__ जीवा० प्रति० ३, उ० २, सू० २०३ सूर्य के सूत्रसूर्य की अग्रमहिषियां तथा विकुर्वीत देवी परिवार सूर्यविमान की सुधर्मासभा में सूर्य द्वारा भोग भोगने का निषेध तथा निषेध का कारण
जीवा० प्रति० ३, उ० २, सू० २०४
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