Book Title: Chandra Pragnapati ka Paryavekshan
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Z_Aspect_of_Jainology_Part_3_Pundit_Dalsukh_Malvaniya_012017.pdf
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श्री कन्हैयालाल 'कमल' प्रत्येक सूर्यमण्डल के आयाम-विष्कम्भ, परिधि एवं बाहल्य का प्रमाण
जंबू० वक्ष० ७, स० १३०
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मन्दर पर्वत से सर्वाभ्यन्तर सूर्यमण्डल का अन्तर, मन्दर पर्वत से सर्वाभ्यन्तर (आभ्यन्तर द्वितीय) सूर्यमण्डल का अन्तरमन्दर पर्वत से (आभ्यन्तर) तृतीय मण्डल का अन्तर, इस प्रकार प्रत्येक सूर्यमण्डल का अन्तर, सर्वबाह्य मण्डल प्रथम, द्वितीय, तृतीय आदि का अन्तर
जंबू० वक्ष० ७, सू० १३१
सर्वाभ्यन्तर प्रथम, द्वितीय, तृतीय आदि सूर्यमण्डलों का आयाम-विष्कम्भ तथा उनकी परिधि का प्रमाणसर्वबाह्य प्रथम, द्वितीय, तृतीय सूर्यमण्डलों का आयाम-विष्कम्भ और परिधि का प्रमाण
जंबू० वक्ष० ७, सू० १३२
सर्वाभ्यन्तर मण्डलों में तथा सर्वबाह्य मण्डलों में सूर्य के तापक्षेत्र और अन्धकारक्षेत्र के संस्थान और उनके प्रमाण
जंबू० वक्ष० ७, सू० १३५
सूर्योदय तथा सूर्यास्त के समय सूर्यदर्शन की दूरी प्रमाण
जंबू० वक्ष० ७, सू० १३६
सूर्य का कालसापेक्ष गतिक्षेत्र
जंबू० वक्ष० ७, सू० १३७
सूर्य का कालसापेक्ष क्रियाक्षेत्र -
जंबू० वक्ष० ७, सू० १३८
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सूर्य का उत्पत्ति क्षेत्र और गति क्षेत्र
जंबू० वक्ष० ७, सू० १४०
सूर्य का च्यवन विरहकाल व्यवस्था तथा विरह अवधि
जंबू० वक्ष० ७, सू० १४१
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