Book Title: Chaitra Gaccha ka Sankshipta Itihas
Author(s): Shivprasad
Publisher: Z_Vijyanandsuri_Swargarohan_Shatabdi_Granth_012023.pdf

View full book text
Previous | Next

Page 7
________________ १४७७ " - यतीन्द्रसूरिस्मारक ग्रन्थ - इतिहास. ५३. १४५१ ज्येष्ठ सुदि ४ पासदेवसूरि शांतिनाथ की जैनमंदिर, ऊँझा वही, भाग-१, रविवार धातु की पंचतीर्थी लेखाङ्क १५५ प्रतिमा का लेख ५४. १४५८ फाल्गुन वदि १ वीरचन्द्रसूरि आदिनाथ चिंतामणि जिनालय, नाहटा, पूर्वोक्त, शुक्रवार की धातु की प्रतिमा बीकानेर लेखाङ्क५८५ का लेख वैशाख सुदि ३ धर्मदेवसूरि शांतिनाथ की धातु संभवनाथजिनालयबोलपीपलो, मुनि बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, सोमवार के पट्टधर पार्श्वचन्द्रसूरि की प्रतिमा का लेख खंभात भाग-२,लेखाङ्क ११३३ मार्गशीर्ष सुदि१० वीरचन्द्रसूरि। आदिनाथ की धातु चिंतामणि पार्श्वनाथ नाहटा, पूर्वोक्त, बुधवार की प्रतिमा का लेख जिनालय,बीकानेर लेखाङ्क ६२९ फाल्गुन सुदी ९ पार्श्वचन्द्रसूर सूरके शिष्य धर्मनाथ देरासर, मुनि बुद्धिसागर, पूर्वोक्त,भाग-१, सोमवार मलयचन्द्रसूरि उपलोगभारो, अहमदाबाद लेखाङ्क १११३ १४७७ वैशाख सुदि ५ गणेशदेवसूरि अनन्तनाथ की धातु शांतिनाथ देरासर, वही, भाग-२, की चौबीसी प्रतिमा छाणी, बड़ोदरा लेखाङ्क २६७ पर उत्कीर्ण लेख शांतिनाथ की धातु सहस्रफणा पार्श्वनाथ मुनि विशालविजय, की चौबीसी प्रतिमा जिनालय, बम्बावाली पूर्वोक्त, लेखाङ्क १०० का लेख शेरी, राधनपुर (१४)७८ वैशाख सुदि६ जयानन्दसूरि पार्श्वनाथ की अनुपूर्ति लेख, अर्बुद-प्राचीन-जैन-लेख-संदोह, सोमवार प्रतिमा का लेख आबू लेखाङ्क६६० १४८४ वैशाख सुदि ११ जिनदत्त (देव) सूरि धातु की चौबीसी कल्याण पार्श्वनाथ, मुनि बुद्धिसागर, पूर्वोक्त,भाग १, रविवार जिनप्रतिमा पर देरासर, वीसनगर लेखाङ्क५३४ . उत्कीर्ण लेख __ १४८७ मार्गशीर्ष सुदि ९ जिनदेवसूरि श्रेयांसनाथ की मुनि सुव्रतनाथ जिनालय,वही, भाग-२, शनिवार धातु की प्रतिमा खारवाडो, खंभात लेखाङ्क १०२५ का लेख १४९३ माघ सुदि ८ धनदेवसूरि पार्श्वनाथ की धातु की आदिनाथ जिनालय, नाहटा, पूर्वोक्त, शुक्रवार प्रतिमा का लेख राजलदेसर लेखाङ्क २३४७ ६४. १४९९ कार्तिक सुदि १५ ...तिलकसरि धर्मनाथ की वीर जिनालय, वही, लेखाङ्क १३४१ गुरुवार धातु की पंचतीर्थी बीकानेर प्रतिमा का लेख ५. १४९९ माघ सुदि६ मुनितिलकसूरि सुमतिनाथ आदिनाथ जिनालय, नाहर, पूर्वोक्त सोमवार के पट्टधर की प्रतिमा सेठों की हवेली भाग-२,लेखाङ्क १९०१ गुणाकरसूरि का लेख के पास, उदयपुर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19