Book Title: Chaitra Gaccha ka Sankshipta Itihas
Author(s): Shivprasad
Publisher: Z_Vijyanandsuri_Swargarohan_Shatabdi_Granth_012023.pdf

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Page 5
________________ ३०. ३१. ३२. ३३. ३४. ३५. ३६. ३७. ३८. ३९. ४०. ४० अ. Amm १३७१ १३७३ १३७८ १३७८ १३८१ १३८६ १३८७ १३८८ १३८८ १३८८ १३९१ आषाढ़ सुदि ३ गुरुवार Jain Education International वैशाख सुदि ७ पद्मदेवसूरि सोमवार ज्येष्ठ वादि ९ सोमवार वैशाख सुदि ६ रत्नसिंहसूरि बुधवार पद्मदेवसूरि के पट्टधर मानदेवसूरि १३...? फाल्गुन सुदि ८ मानदेवसूरि माघ वदि २ सोमवार श्री उद...? वैशाख सुदि १ धर्म्मदेवसूरि माघ वदि ९ शुक्रवार - यतीन्द्रसूरि स्मारक ग्रन्थ - इतिहास मप्रभसूर के शिष्य रामचन्द्रसूरि तिथिविहीन मार्गशीर्ष सुदि ९ मदनसूरि शनिवार चैत्रवदि ७ सोमवार पद्मदेवसूरि पट्टधर मानदेवसूरि वैशाख वदि २ हरिचन्द्रसूरि सोमवार के पट्टधर धर्मसिंहसूर आमदेवसूरि मानदेवसूरि महावीर की धातु- जैनमंदिर प्रतिमा का लेख भावरी ग्राम, सिरोही शांतिनाथ की प्रतिमा का लेख जिनप्रतिमा पर उत्कीर्ण लेख सुमतिनाथ की प्रतिमा पर उत्कीर्ण लेख पार्श्वनाथ की प्रतिमा पर उत्कीर्ण लेख शांतिनाथ की धातुप्रतिमा पर उत्कीर्ण लेख पार्श्वनाथ की धातु की प्रतिमा का लेख "" महावीर प्रतिमा का लेख शांतिनाथ की धातु की प्रतिमा का लेख " चिंतामणि पार्श्वनाथ जिनालय, बीकानेर For Private " विमलवसही, आबू चन्द्रप्रभ जिनालय, जैसलमेर पद्मदेवसूरि के शिष्य भीमा के मूर्ति पर उत्कीर्ण लेख चन्द्रप्रभ जिनालय, जानीशेरी, बडोदरा स्तम्भन पार्श्वनाथ जिनालय, खारवाड़ा, खंभाग चिंतामणि पार्श्वनाथ जिनालय, बीकानेर जैन देरासर, कोलवड़ा चन्द्रप्रभदेरासर, जैसलमेर शत्रुञ्जय ३६টक Personal Use Only मुनि जयंतविजय, संपा. - अर्बुदाचल- प्रदक्षिणा - जैन-लेख-संदोह, लेखाङ्क ५२४ नाहटा, पूर्वोक्त, लेखाङ्क २५३ वही, लेखाङ्क २७६ मुनि जयंतविजय, संपा. अर्बुद - प्राचीन जैन - लेख - संदोह, लेखाङ्क १३९ एवं मुनि जिनविजय, संपा. - प्राचीन जैनलेख संग्रह भाग - २, लेखाङ्क २०२ नाहर, पूर्वोक्ति, भाग-३ लेखाङ्क २२४९ मुनि बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, भाग-२, लेखाङ्क १५० मुनि बुद्धिसागर, पूर्वोक्त, भाग-२, लेखाङ्क १०४१ नाहटा, पूर्वोक्त, लेखाङ्क ३८१ वही, लेखाङ्क ३२६ मुनि बुद्धिसागर, पूर्वोक्त भाग-१, लेखाङ्क ६५९ नाहर, पूर्वोक्त, भाग-३, लेखाङ्क २२५५ मधुसूदन ढाँकी और लक्ष्मण भोज "शत्रुञ्जयगिरिनाकेटलाक अप्रकट प्रतिमा लेखो" सम्बोधि वर्ष ७, अंक १-४ SGRA www.jainelibrary.org

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