Book Title: Bruhad Adhyatmik Path Sangraha
Author(s): Abhaykumar Devlali
Publisher: Kundkundswami Swadhyaya Mandir Trust Bhind

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Page 410
________________ भरत चक्रवर्ती के स्वप्न व फल] [३९९ W PYAR SAREE HR TERS Run .. TE ११. जुगनू चमकते देखा। ११. जैनधर्म का विस्तार अब बहुत थोड़ा रहेगा और अन्य धर्म का विस्तार ज्यादा होगा। I D .. . १२. सूखे हुए सरोवर में दक्षिण दिशा में थोड़ा सा जल देखा। १२. जिन-जिन स्थानों में पंचकल्याणक हुए हैं, उन-उन स्थानों में धर्म की हानि होगी। अब से जिनधर्म रहे तो उसी दक्षिण दिशा में रहेगा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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