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भरत चक्रवर्ती के स्वप्न व फल]
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११. जुगनू चमकते देखा। ११. जैनधर्म का विस्तार अब बहुत थोड़ा रहेगा
और अन्य धर्म का विस्तार ज्यादा होगा।
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१२. सूखे हुए सरोवर में दक्षिण दिशा में थोड़ा सा जल देखा। १२. जिन-जिन स्थानों में पंचकल्याणक हुए हैं, उन-उन स्थानों में धर्म की हानि होगी। अब से जिनधर्म रहे तो उसी दक्षिण दिशा में रहेगा।
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