Book Title: Bramhasutra me Uddhrut Acharya aur Unke Mantavyo ka Adhyayan Author(s): Vandanadevi Publisher: Ilahabad University View full book textPage 4
________________ प्राक्कथनम् यं ब्रह्म वेदान्तविदो वदन्ति परं प्रधानं पुरुषं तथान्ये । विश्वादगतेः कारणमीश्वरं वा तस्मै नमो विघ्नविनाशाय ।। "प्रस्तुत शोध-प्रबन्ध का विषय ब्रह्म-सूत्र शाङ्कर भाष्य में उद्धृत आचार्य एवं उनके मन्तब्यों का समालोचनात्मक अध्ययन" है। भगवान बादरायण ने ब्रह्मसूत्र की रचना की और उस पर आचार्य शङ्कर ने कालजयी भाष्य लिखा। ब्रह्मसूत्र चतुःसूत्री अति संक्षिप्त होने के कारण साधारण जनों के लिए दुर्बोध थे। इस पर आचार्य शङ्कर ने विस्तृत भाष्य लिखकर साधारण जनों के लिए सुलभ बनाया है। यद्यपि शङ्कराचार्य के दर्शन पर प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से इतना लिखा जा चुका है कि उसके पूर्णज्ञान का दावा करना मुझ जैसे अल्पज्ञ के लिए अहं प्रदर्शित करना होगा, तथापि ब्रह्मसूत्र शांङ्कर भाष्य में उदधृत शङ्कर पूर्ववर्ती आचार्यों और उत्तरवर्ती अचार्यों के मन्तव्यों का अध्ययन करने का पूर्ण प्रयास करना हमारा लक्ष्य है। आचार्य शङ्कर का जन्म ऐसी विषम परिस्थितयों के मध्य हुआ था जब कि समाज में पाखण्ड, वाह्याडम्बर ,जादू टोना जैसी अनेक कुरीतियां प्रचलित हो चुकी थी। आचार्य शङ्कर ने सम्पूर्ण देशो में भ्रमण करके इन समस्त विसंगतियो को दूर करने का वीड़ा उठाया तथा आस्था, विश्वास, श्रुतियां एवं तर्को की सुदृढ़ भूमि पर हिन्दू धर्म (वेदान्त) को प्रतिष्ठित किया। शङ्कराचार्य के दर्शन मे सर्वोच्च जीवन आदर्श प्रस्तुत किया गया है। वह निर्विवाद रूप से सर्वोच्च संभव आदर्श है । ब्रह्मसूत्र 'शाङ्कर-भाष्य' की सर्वाधिक महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि जिसके कारण अन्य दर्शनो के समर्थकों द्वारा लगाये गये अनेक आक्षेपों के बाचजूद यहPage Navigation
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