Book Title: Bramhasutra me Uddhrut Acharya aur Unke Mantavyo ka Adhyayan Author(s): Vandanadevi Publisher: Ilahabad University View full book textPage 9
________________ अन्य सदस्यो के प्रति भी आभार एवं कृतज्ञता ज्ञापित करती हूँ, जिनके अप्रतिम सहयोग एवं आशीर्वाद से मेरा शोध-प्रबन्ध निर्वाध रूप से पूर्ण हो सका। मेरे अभिन्न मित्रो में ज्योति स्वरूप शुक्ल, अर्चना द्विवेदी तथा किरन चतुर्वेदी का मुख्य रूप से सहयोग रहा है। प्रो० श्री सुधांशु शेखर शास्त्री (विभागाध्यक्ष, दर्शन - प्रखण्ड, विश्व विद्यालय, वाराणसी) के प्रति मै अपना आभार प्रकट करती हूँ। जो अनुसंधात्री को सदा प्रोत्साहन एवं सत्य प्रेरणाएँ देते रहे । श्री गंगा नाथ झा, केन्द्रीय संस्कृत विद्यालय, इलाहाबाद के डा० रामानन्द थपलियाल के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करती हूँ जिन्होने अपना अमूल्य सहयोग दिया । विश्व विद्या इलाहाबाद के पुस्तकालय के प्रति हिन्दू विश्व विद्यालय संस्कृत कालेज, वाराणसी के प्रति तथा राम कृष्ण मिशन पुस्तकालय के प्रति भी अपना आभार प्रकट करती हूँ । प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से शोध-प्रबन्ध प्रस्तुत करने में जिन विद्वानों का सहयोग रहा उनके प्रति भी मैं अपना अभार प्रदर्शत करती हूँ । टंकण कार्य सम्पन्न करने में श्री गुलाब मिश्रा के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करती हूँ, जिन्होने अपना अमूल्य सहयोग देकर शोध-प्रबन्ध को पूर्णता प्रदान किया । प्रस्तुत शोध-प्रबन्ध के शीर्षक की व्यापकता एवं गम्भीरता को देखते हुये मेरा यह प्रयास अत्यल्प एवं अत्यन्त न्यून प्रतीत होता है, तथापि मेरी इस शाश्वत् समार्चना से दर्शन जगत को कुछ भी परितोष मिलता है तो इसे मै अपने जीवन की सबसे बड़ी सफलता मानूँगी। इसमे जो कुछ भी बन पड़ा वह प्रभु की असीम कृपा काही प्रसाद है तथा जो कमियाँ हैं उन्हें मेरी बालिकोचित बुद्धि का फल मानकर विद्वत् समुदाय से प्रार्थिनी क्षमा प्रार्थी रहेगीं । viPage Navigation
1 ... 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 ... 388