Book Title: Bramhanwada Tirthnu Sachitra Varnan
Author(s): Jayantvijay
Publisher: Vijaydharmsuri Jain Granthmala

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Page 84
________________ - પરિશિષ્ટ ૨ तापत्र (ता५३.)नी नस. (सही) श्रीमा(म)हादेवजी महारावजी श्रीशिवसिघ(सिंह)जी कु(कुं)वरजी श्रीगुमानसिघ(सिंह)जी बचनायतां। गाव वीरवाडो प्रगने रुवाई रे सीरो लागत वराउ सदामद सिरोही रे दरबार लागे तको श्रीबामणवाडजी रे कारखाने चढायो सो हासील राज रो आदमी रेव ने उगरावसी ने कारखाने परो लगावसी । देवडा राजपुत जागीरदार से वणा रे हासील सदामद परवाणे है सो खादे जावसी । श्रीदुवारकानाथजी परसवा पदारीया जरे गाम चीयार चढावीया जणापर श्रीसारणेश्वरजी रे, गाम वासो श्रीदवारकानाथजी रे, गांव देलदर श्रीअंबावजी रे भेट कीनो सो अरपण हुओ जावसी । अरठ १ हीराजीवाळो गांम जणापर में जाच सुधा । अरठ पाटलावो जाव सुधा गांम पीडवाडे । अरठ ? सरों री वाव गांव उंदरे जणरो हासल श्रीबामणबाडजी प्रमाणे सदामद लेसी । दुवे श्रीमुख पर दुवे सीगणोत जेता सीबा काना । दं० । सिं० । पोमा कांना रा । सं० । १८७६ रा जेठ सुद ५ गरू. शीलो(श्लो)क आप दत्तं पर दत्तं जो लोपंते वसुधरा । ते नर नरके जावंते यावद् चंद्र दिवाकरा। ( ताम्रपत्रमा माहेछ, ते ४ गडी मापे छे.)

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