Book Title: Bindu me Sindhu
Author(s): Hukamchand Bharilla, Yashpal Jain
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 37
________________ ३०७. नय अपर पक्ष को गौण करते हैं, अभाव नहीं । ३०८. आगम और अध्यात्म एक-दूसरे के विरोधी नहीं, अपितु पूरक हैं। ३०९. आगम के अध्ययन से अध्यात्म की पुष्टि होती है। ३१०. आगम का प्रतिपाद्य सन्मात्र वस्तु है और अध्यात्म का प्रतिपाद्य चिन्मात्र वस्तु है । ३११. आत्मा का साक्षात् हित करनेवाला तो अध्यात्म ही है । ३१२. वस्तुस्वरूप का मर्म तो अध्यात्म शास्त्रों में ही है। ३१३. अध्यात्म का मार्ग है कि 'समझना सब, जमना स्वभाव में ३१४. व्यवहार की कीमत भी निश्चय के प्रतिपादकत्व में ही है ३१५. निमित्त होता है, पर करता नहीं । 1 ३१६. आत्मार्थी को निमित्तों की खोज में व्यग्र नहीं होना चाहिए । ३६ .

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