Book Title: Bhushan Nam Garbhit Ek Aprakat Gahuli Author(s): Suyashchandravijay, Sujaschandravijay Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 3
________________ जून - 2012 उपासरइ अलवइस्युं० आवइ उलट अंगइ रे, रूडा उलट अंगइ, खीमाजीनो नंदन वंदन करती रंगइ रे, रूडा करती रंगइ, गोरी गेलइ गुरुजी आगलि गूंहली करइ रे, रूडी गूंहली करइ, माणिक-मोती चोक पूरी सुकृत भरइ रे, रूडां सुकृत भरइ. वारू वेढ वीटां रूपां श्रीफल वली रे, रूडां श्रीफल वली, लटकइस्युं लूछणां करती ललीअ लली रे, रूडां ललीअ लली, धवल-मंगल गाई गोरडी मिली रे, रूडी गोरडी मिली, ताल तंती मादल वाजइ भेरस्युं भली रे, रूडी भेरस्युं भरी. सुहवि सोभागिणि गाती आसीस दीजइ रे, रूडी आसीस दीजइ, माहरा रे गुरुजी केरा दूखडा लीजइ रे, रूडा दूखडा लीजइ, सुजय विजयवंतो गुरुजी माहरो रे, रूडो गुरुजी माहरो, मेरू कहइ गुरुजी नमी आतमा तारो रे, रूडो आतमा तारो. // इति श्रीभूषणगर्भित गृहली भास // 8 C/o. अश्विन संघवी, कायस्थ महोल्लो, गोपीपुरा, सूरत-१Page Navigation
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