Book Title: Bhasarvagnya ke Nyayasara ka Samalochantmaka Adhyayana
Author(s): Ganeshilal Suthar
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 273
________________ [२] पन्ना पंक्ति अशुद्ध शुद्ध ११३ १५ ११७ पक्षत्रयैकदेवृत्ति क्षविपक्ष विनाम शंङ्का पक्षत्रयकदेशत्ति पक्षन्निपक्ष दिङनाग १२६ १२७ १९८ शङ्का १३० परिष्कार धतोपदर्शन परिष्कार धर्म तोपदर्शन १५० -पपन्नछल १६७ १७० १७४ ૧૮૧ १९२ २.२ -पन्नश्यछ निगृहगीयात कात्यासिद्ध धर्मापपत्तरवि प्र षेधाभावः थिते चक्षुरिन्द्रय कयोंक दसरे निगृहणीयात् त्रैकाल्यासिदेः धर्मोपपत्तरबि प्रतिषेवाभावः स्थिते चक्षुरिन्द्रिय कयोंकि Mu09 9 दूसरे 0 कि 0 ० 0 २३३ समप्रवर्तते पक्ष सद्धावपि बैशेपिक चातिप्रगः पचीसवां का धमो की सप्रवर्तते पक्षसिद्धावपि वैशेषिक चातिप्रसंग: पचीसवां की धर्मों की २३७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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