Book Title: Bhartiya Hastpratona Suchipatro Aetihasik Pariprekshyama Vivechanatmaka Abhyas Author(s): Manibhai Prajapati Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 4
________________ १२० अनुसन्धान- ५५ लेखनकलाना प्रारम्भ अंगे कोई आधारभूत माहिती प्राप्त नथी तेवा संजोगोमां पहेलुं पुस्तक कयुं लखायुं हशे अने त्यारबाद प्रथम ग्रन्थालय क्यां शरु करवामां आव्युं हशे ते सम्बन्धी आपणी पासे कोई ज माहिती आजे उपलब्ध नथी. ग्रन्थालय के ग्रन्थालयो शरु थया पछी पण ते ग्रन्थालयोनां सूचिपत्रो ( Catalogues ) केवा स्वरूपमां तैयार करवामां आव्यां हशे ते पण अक शोधनो विषय बनी रहे छे. कारण के प्राचीनतम ज्ञात उपलब्ध सूचिपत्र ओ कोई अज्ञात सूचिकर्ता द्वारा सम्पादित "बृहटिप्पनिकानामप्राचीनजैनग्रन्थसूचि" छे के जेनो रचनाकाळ ई.स. १३८३ छे. आ सूचिपत्रमां वर्णित ६५३ हस्तप्रतो विषयानुसार गोठववामां आवी छे अने प्रत्येक कृतिना कर्ता, लेखक, लेखनसमय अने पत्रसंख्या सम्बन्धी माहिती आपवामां आवी छे. आ सूचिपत्र पण कोई ओक भण्डारनी प्रतोनुं नथी. परंतु तेमां पाटण, खंभात अने भरुचना भण्डारोनी प्रतोनी माहिती आपवामां आवी छे. आ सूचिपत्रनुं सम्पादन मुनि जिनविजयजी द्वारा करवामां आव्युं छे, जे 'जैन साहित्य संशोधक ना पुस्तक १ अंक २मां मुद्रित करवामां आव्युं छे. आ ज सूचिपत्रनुं स्वतन्त्र पुनः मुद्रण ताजेतरमां ज मुनि प्रद्युम्नविजयजीओ कराव्युं छे. प्राचीन भारतमां तक्षशीला, वलभी, नालंदा, विक्रमशीला वगेरे विश्वविद्यालयो अने तेनां ग्रन्थालयो सम्बन्धी भारतीय अने विदेशी स्रोतोमां उल्लेखो जोवा मळे छे. परंतु, आ ग्रन्थालयोनां सूचिपत्रो के तेना व्यवस्थापन सम्बन्धी कोई ज माहिती प्राप्त नथी. भारत हस्तप्रतोनी दृष्टि सौथी धनिक देश, परन्तु हस्तप्रतविद्या विशे ओक पण स्वतन्त्र ग्रन्थ रचायो होय तेवुं जाणमां नथी. हा, लहियाओनी पुष्पिकाओमां हस्तप्रत संरक्षण सम्बन्धी केटलीक माहिती आपवामां आवी छे अने केटलाक टीकाकारो ने पाठसम्पादन विशे थोडीक चर्चाओ करी छे. उदा. तरीके महाभारतना टीकाकार नीलकण्ठ चतुर्धरे पोतानी भावदीप टीकाना प्रारम्भमां ज आ सम्बन्धी ठीक ठीक चर्चा करी छे. आ उपरान्त आनन्दतीर्थे 'महाभारततात्पर्यनिर्णय' मां, निरुक्तव्याख्याकार देवराज वगेरेअ आ सम्बन्धी प्रसंगोचित उल्लेखो कर्या छे. ६ जो के लेख, दस्तावेज वगेरे लखवा सम्बन्धी ग्रन्थो 'लेखपद्धति' (संपा. सी. डी. दलाल, गायकवाड ओरिओन्टल सिरिझ) अने 'लेखपंचाशिका' ग्रन्थो प्राप्त छे. सूचिपत्रो अने सूचिकरण सम्बन्धी ग्रन्थोनी प्राप्तिनो अभाव तेमज ते सम्बन्धी उल्लेखोनो अभाव ध्याने लेतां सहज प्रश्न उद्भवे के प्राचीन भारतमां आ कलानो विकासPage Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27