Book Title: Bhartiya Hastpratona Suchipatro Aetihasik Pariprekshyama Vivechanatmaka Abhyas
Author(s): Manibhai Prajapati
Publisher: ZZ_Anusandhan
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अनुसन्धान-५५
थयां होवाथी विद्वत प्रस्तावनाओ तथा कृतिओना विस्तृत वर्णननी दृष्टिले खास ध्यानपात्र बनी रहे छे. Theodor Aufrechtना केटलोगोरमनी उपयोगिताथी प्रभावित थईने पंजाब युनिवसिटीना तत्कालीन कुलपति A.C. Woolner (१९३०)ना सूचनने ध्याने लइ 'New Catalogus Catalogorum' तैयार करवानुं कार्य मद्रास युनिवसिटीना संस्कृत विभागे शरु कयें, परंतु तेना फळ १९४९थी मळवां शरु थयां. आ हेतुसर संस्कृत विभागे प्रथम तबक्के सूचिपत्रो ओकठां करवानुं शरु कर्यु. जे संस्थाओनां सूचिपत्रो प्रकाशित न हता त्यांनी हाथयादीओ अकठी करी. ५.४ स्वातन्त्र्योत्तरकाळ (१९४७ थी आजदिन सुधी)
__ आझादी बाद डॉ. राधाकृष्णनना चेरमेन पदे युनिवर्सिटी एज्युकेशन कमिशन (१९४९), डॉ. सुनीतिकुमार चेटरजीना चेरमेन पदे संस्कृत कमिशन (१९५६) अने युजीसीओ डॉ. राघवनना चेरमेन पदे मेन्युस्क्रिप्ट कमिटि (१९५९)नी रचना करी हती. आ कमिशन-कमिटिओओ संस्कृत हस्तप्रतोना संग्रह, संरक्षण, सम्पादन, प्रकाशन तथा सूचिपत्रो प्रकाशन करवा माटे नोंधपात्र भलामणो करी हती. भारत सरकारे पुनः प्रो. के.ओ.अन. शास्त्रीना चेरमेन पदे इन्डोलोजी कमिटि (१९६०)नी रचना करी. आ इन्डोलोजी कमिटिओ हस्तप्रतोना सम्पादन, प्रकाशन अंगे भलामणो करवा उपरान्त सूचिपत्रो कया स्वरूपे तैयार करी प्रकाशित करवां ते अंगे पण महत्त्वपूर्ण भलामणो करी हती. हस्तप्रतोना प्रकाशन माटे अनुदान मेळवती संस्थाओ पोतानां सूचिपत्रो आ साथे नीचे दर्शाव्या मुजब तैयार करवानुं भारत सरकारे ठरावतां १९६१ पछीनां बधां ज सूचिपत्रो प्रायः समान धोरणे प्रकाशित करवामां आवे छे : 1. Serial no. and subject 2. Library accession or Collection number, if any 3. Time of work 4. Name of author 5. Name of commentator 6. Material or Substance 7. Script 8. Size, number of folios or leaves; Lines per page and no. of letters per line 9. Extent 10. Conditation and age, and 11. Additional particulars. आ उपरान्त जे ते संग्रहनी अलभ्य हस्तप्रतोनी सूचनाओ कोलम १मां 'E' संज्ञा वापरीने दर्शाववी. 'E' संज्ञावाळी अलभ्य अने महत्त्वपूर्ण हस्तप्रतोनां आदि-अन्त-प्रशस्ति तथा कृतिना केटलाक अंशो परिशिष्टमां दर्शाववा. आ उपरान्त सूचिपत्रमा वणित हस्तप्रतोनी