Book Title: Bhajanpad Sangraha Part 09
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal

View full book text
Previous | Next

Page 485
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ર ज० ३१ 'तत्त्व अतये गयेखणा जी, करवी पिण अतिदूर; तत्त्वप्ररुपक मानथी जी, विस्तारै भवभूरि. तुम सम दीन दयालुओ जी, नवि बीज जिनराज; दया ठाम मुज सारिखो जी, छे बीजो कुण आज. ज० ३२ श्री सिद्धाचलमंडणी जी, ऋषभदेव जिनराज; रत्नाकरसूरे स्तव्या जी, निर्मल समकितकाज. ज० ३३ निज नाण दंसण चरण वीरज परम सुख रयणायरो, जिनचंद्र नाभि नरिदनंदन त्रिजग जीव नभायरो; उवझाय वर श्री दीपचंदह सोस गणि देवचंद ए, संथव्यो भगतें भविकजनने करो मंगलवृंद ए० ईति स्तवन संपूर्ण. ॐ शांति: ३ ॐ अर्हमहावीर शान्तिः ३ For Private And Personal Use Only ३४

Loading...

Page Navigation
1 ... 483 484 485 486