Book Title: Bhagwati sutram Part 03
Author(s): Abhaydevsuri, 
Publisher: Agamoday Samiti

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Page 11
________________ | कुल्लाए सन्निवेसे उच्चनीय० जाव अडमाणस्स बहुलस्स माहणस्स गिहं अणुप्पविट्ठे, तए णं से बहुले माहणे ममं एज्यमाणं तहेव जाव ममं विउलेणं महुघयसंजुत्तेणं परमन्नेणं पडिला भेस्सामीति तुट्ठे सेसं जहा विजयस्स जाव बहुले माहणे बहु० । तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते ममं तंतुवायसालाए अपासमाणे रायगिहे नगरे सन्भितरबाहिरियाए ममं सवओ समंता मग्गणगवेसणं करेति ममं कत्थवि सुतिं वा खुतिं वा पवत्तिं वा अलभ - माणे जेणेव तंतुवायसाला तेणेव उवा० २ साडियाओ य पाडियाओ य कुंडियाओ य पाहणाओ य चित्तफलगं च माहणे आयामेति आयामेत्ता सउत्तरो मुंडं कारेति स० २ तंतुवायसालाओ पडिनिक्खमति तं० २ णालंद बाहिरियं मज्झमज्झेणं निग्गच्छइ निग्ग० २ जेणेव कोल्लागसन्निवेसे तेणेव उवागच्छइ, तए णं तस्स कोल्लागस्स संनिवेसरस बहिया बहिया बहुजणो अन्नमन्नस्स एवमाइक्खति जाव परूवेति धन्ने णं | देवाणुप्पिया ! बहुले माहणे तं चेव जाव जीवियफले बहुलस्स माहणस्स ब० २, तए णं तस्स गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स बहुजणस्स अंतियं एयमहं सोचा निसम्म अयमेयारूवे अन्भत्थिए जाव समुप्पज्जित्था - जारिसिया णं ममं धम्मायरियस्स धम्मोवदेसगस्स समणस्स भगवओ महावीरस्स इड्डी जुत्ती जसे बले वीरिए पुरिसकार परकमे लद्धे पत्ते अभिसमन्नागए नो खलु अत्थि तारिसिया णं अन्नस्स करसह तहारूवस्स समणस्स वा माहणस्स वा इड्डी जुत्ती जाव परिक्कमे लद्धे पत्ते अभिसमन्नागए तं निस्संदिद्धं च णं एत्थ ममं | धम्मायरिए धम्मोवदेसए समणे भगवं महावीरे भविस्सतीतिकट्टु कोल्लागसन्निवेसे सभितरबाहिरिए ममं Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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