Book Title: Bhagwati Sutra Part 14
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 2
________________ C મળવાનું ઠેકાણું : श्री म.सा. वे स्थानडेवासी 'नैनशास्त्रद्धार समिति, हे, गरेडिया हूवा रोड, शोट, ( सौराष्ट्र ). Published by : Shri Akhil Bharat S. S. Jain Shastroddhara Samiti, Garedia Kuva. Road, RAJKOT, (Saurashtra ), W. Ry, India. 5 ये नाम केचिदिह नः प्रथयन्त्यत्रज्ञां, जानन्ति ते किमपि तान् प्रति नैप यत्नः । उत्पत्स्यतेऽस्ति मम कोऽपि समानधर्मा, कालो ह्ययं निरवधिर्विपुला च पृथ्वी ॥ १ ॥ हरिगीतच्छन्दः करते अवज्ञा जो हमारी यत्न ना उनके लिये । जो जानते हैं तत्र कुछ फिर यत्न ना उनके लिये ॥ जनमेगा मुझसा व्यक्ति कोई तत्व इससे पायगा । ' है काल निरवधि विपुलपृथ्वी ध्यान में यह लायगा ॥ १ ॥ પ્રથમ આવૃત્તિ પ્રત ૧૨૦૦ વીર સવંત ૨૪૯૬ વિસ ‘સવત ૨૦૨૬ ઇસવીસન १५७० भूयः ३. २५=०० # sr : भु४ : નવપ્રભાત મણિલાલ છગનલાલ, શાહ પ્રિન્ટીંગ ंटा रोड़, अभहाबाई, प्रेस, 1

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