Book Title: Bhagwan Mahavir Ne Ganga Mahanadi Kyo Par Ki
Author(s): Amarmuni
Publisher: Z_Pragna_se_Dharm_ki_Samiksha_Part_02_003409_HR.pdf

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Page 7
________________ केवल ज्ञान की प्राप्ति के बाद भगवान् महावीर के विहार का वह संक्षिप्त दिग्दर्शन है। गंगा और अन्य नदियों को पार करने की यह एक साध परण-सी स्थूल रूपरेखा है। इसमें शोण, इरावती, कोशी, मही और फल्गु आदि कुछ प्रमुख नदियों के नाम नही आए हैं, भगवान् महावीर के प्राचीन जीवन चरित्रों में भी इनका उल्लेख नहीं है। परन्तु विहार यात्रा का जो भौगोलिक पथ बताया गया है, इसमें उक्त नदियों का बीच में आना निश्चित है। जैसे कि कौशाम्बी से राजगृह जाते हुए शोण आदि कितनी ही जलधाराएँ बीच में पड़ती हैं। अतः इधर-उधर आते-जाते भगवान् महावीर ने उक्त नदियों के साथ अनेक अनुक्त नदियों को भी पार किया था। भगवान् महावीर ने गंगा महानदी क्यों पार की? उपर्युक्त उल्लेखों पर से एक महत्त्वपूर्ण प्रश्न खड़ा होता है कि भगवान् महावीर ने गंगा जैसी महानदियों को किसलिए पार किया? बार-बार गंगा पार करना, कभी-कभी तो एक वर्ष में दो-दो बार पार करना, क्या अर्थ रखता है? जैन शास्त्रानुसार एक छोटे से छोटे जल कण में भी असंख्य जलकाय के जीव होते हैं। उस प्राचीन काल में गंगा का कितना विराट रूप था, उस पर से अनुमान लगाया जा सकता है कि कितनी विशाल जलराशि पार करनी होती थी, और जलकाय के जीवों की कितनी अधिक हिंसा हो जाती थी? जल में वनस्पति आदि अन्य स्थावर जीव तथा द्वीन्द्रिय आदि त्रस जीव भी होते हैं। अतः गंगा की विशाल जलधारा को पार करते समय असंख्य कीटाणु, मेढक और मछली आदि त्रस जीवन की हिंसा का होना भी निश्चित है। जल में निगोद भी रहता है, और निगोद के एक सूक्ष्म से सूक्ष्म कण में भी अनंत जीव होते हैं, यह किसी भी जैनागमों के अध्येता से छुपा हुआ नहीं है। प्रश्न है, जब जल-सन्तरण में इस प्रकार एक बहुत बड़ी हिसा होती है, तब भगवान् ने बार-बार गंगा जैसी महानदियों को क्यों पार किया? ऐसी क्या आवश्यकता आ पड़ी थी उन्हें, जो इतनी बड़ी हिंसा का दायित्व लेकर भी उन्होंने गंगा को पार करना, आवश्यक माना। गंगा और गंगा जैसी महार्णवाकार अन्य नदियों का सन्तरण बिना नौका के नहीं हो सकता था। उस युग में गंगा आदि विराट नदियों पर पुल नहीं बने थे। जैन, बौद्ध तथा वैदिक परम्परा के किसी भी प्राचीन ग्रन्थ में गंगा आदि विराट नदियों पर पुल होने का कोई उल्लेख भगवान् महावीर ने गंगा नदी क्यों पार की? 57 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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