Book Title: Bhagwan Mahavir Ne Ganga Mahanadi Kyo Par Ki
Author(s): Amarmuni
Publisher: Z_Pragna_se_Dharm_ki_Samiksha_Part_02_003409_HR.pdf
View full book text
________________ 16. (क) वीरवरस्स भगवओ, नावारूढस्स कासि उवसग्गं -आव. नियुक्ति 471 (ख) तओ सामी सुरभिपुरं गओ, तत्थ गंगा उत्तरीयव्वा.... भयवं नावाए ठिओ -आव. चूर्णि, 471 17. तत्यंतरा गंडइया नदी, तं सामी णावाए उत्तिण्णो। ते णाविया सामि भणति -देहि मोल्लं .... ___ -आवश्यक चूर्णि 494 18. भगवान् महावीर का साधनाकाल साढे बारह वर्ष का है। अत: 12 चौमास छद्मस्थ __काल के हैं। 19. विहार यात्रा में भगवान् महावीर द्वारा, गंगा पार करने का यह वर्णन कल्पसूत्र, आवश्यक नियुक्ति आवश्यक चूर्णि, महावीर चरियं-गुणचंद्राचार्य, महावीर चरियं-नेमिचंद्राचार्य, त्रिषष्टि शलाका पुरुष चरित्र-आचार्य हेमचन्द्र, श्रमण भगवान् महावीर - श्री कल्याण विजय गणी, तीर्थंकर वर्द्धमान आदि अनेक प्राचीन तथा अर्वाचीन ग्रन्थों पर आधारित है। 20. तस-उदग-वणे घट्टण। बृहत्कल्प भाष्य 5632 जलोद्भवानां त्रसानां उदकस्य वा सेवालादिरूपस्य वनस्पतेर्वा संघट्टनम्। -बृहत्कल्प भाष्य टीका 5632 21. उदए चिक्खिल परित्तऽणंतकाइग तसे -बृहत्कल्प भाष्य 5641 उदए चिक्खिल परित्तणंत काइग तसे - बृहत्कल्प भाष्य 5641 उदके चिक्खलादिक पृथिवीकायः, वनस्पतयश्च परीत्तकायिका अनंतकायिका वा त्रसाश्च द्वीन्द्रियादयो भवेयुः -बृह. भा. टीका आउक्काए णियमा वणस्सती अत्थि, -निशीथ चूर्णि, 4240 22. स्थानांग 5/2/1, बृहत्कल्प भाष्य, 5663, निशीथ भाष्य, 4 54 भगवान् महावीर ने गंगा नदी क्यों पार की? 61 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org